मनीषा शर्मा। राजस्थान में पंचायतों के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही कई जिलों में विरोध की स्थिति बन गई है। सीकर जिले में पंचायत सीमांकन को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। दातारामगढ़, धोद और पलसाना क्षेत्र में ग्रामीण पुनर्गठन के निर्णयों से असंतुष्ट हैं और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांगें उठा रहे हैं। ताज़ा मामला पलसाना पंचायत समिति के सामेर गांव का है, जहां ग्रामीणों ने नए सीमांकन के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया है।
सामेर पंचायत को खाचरियावास में जोड़ने का विरोध, ग्रामीण टावर पर चढ़े
ग्राम पंचायत सामेर को पलसाना की बजाय खाचरियावास पंचायत समिति में जोड़ने के निर्णय को लेकर ग्रामीणों में गहरा रोष है। विरोध स्वरूप सरपंच प्रतिनिधि सहित तीन लोग सामेर में स्थित एक मोबाइल टावर पर चढ़ गए। नीचे सैकड़ों ग्रामीण धरने पर बैठ गए और प्रशासन को निर्णय वापस लेने की चेतावनी दी गई।
सूचना मिलते ही सदर थाना पुलिस और पलसाना के नायब तहसीलदार मौके पर पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों ने टावर पर चढ़े ग्रामीणों से बातचीत कर उन्हें शांत करवाने की कोशिश की, वहीं धरने पर बैठे लोगों को भी स्थिति समझाने का प्रयास जारी है।
ग्रामीणों का कहना है कि सामेर की भौगोलिक, सामाजिक और विकासात्मक आवश्यकताएँ पलसाना क्षेत्र से ही जुड़ी हैं। इसलिए पंचायत पुनर्गठन में सामेर को खाचरियावास में जोड़ना गलत है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
दातारामगढ़ के बाय गांव में भी विरोध, पंचायत समिति बनाने की मांग
दातारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी पंचायत पुनर्गठन को लेकर असंतोष चरम पर है। बाय गांव के ग्रामीणों ने मांग की है कि बाय को पंचायत समिति का दर्जा दिया जाए। उनका कहना है कि दातारामगढ़ तहसील मुख्यालय के बाद बाय सबसे बड़ी और सक्षम पंचायत है।
लेकिन पुनर्गठन के दौरान बाय को पंचायत समिति नहीं बनाया गया, जबकि खाचरियावास को यह दर्जा दे दिया गया है। ग्रामीणों ने इस फैसले को अव्यवहारिक बताते हुए उपखंड कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया था। उन्होंने परिसीमन को अनुचित बताते हुए दस्तावेजों के माध्यम से पुनर्विचार की मांग उठाई है।
धोद विधानसभा के चौखा का बास गांव में भी विरोध
धोद विधानसभा क्षेत्र के चौखा का बास गांव में भी पंचायत पुनर्गठन के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध जारी है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि द्वेषपूर्ण तरीके से उनका गांव मंडावर पंचायत से हटाकर कुंडलपुर में जोड़ दिया गया है।
ग्रामीणों के अनुसार, चौखा का बास से कुंडलपुर की दूरी काफी अधिक है और बीच का क्षेत्र पहाड़ी होने के कारण आवागमन बेहद कठिन है। इस कारण गांव के लोगों को पंचायत तक पहुंचने में भारी कठिनाई होगी।
ग्रामीणों ने इस निर्णय के खिलाफ धोद विधायक गोरधन वर्मा और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि चौखा का बास को वापस मंडावर पंचायत में शामिल नहीं किया गया, तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।


