शोभना शर्मा। राजस्थान PTI भर्ती 2022 के तहत नौकरी पर संकट झेल रहे 244 अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं और राज्य सरकार से 23 जनवरी तक संबंधित रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा है। इस भर्ती में अभ्यर्थियों पर फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाने का आरोप है। शिक्षा विभाग ने 244 PTI को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए, जहां उन्होंने दावा किया कि उनकी नियुक्ति सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद की गई थी।
क्या है मामला?
राजस्थान में वर्ष 2022 में PTI के 5,546 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इसमें 12वीं तक की पढ़ाई के साथ शारीरिक शिक्षा में प्रमाण पत्र या डिप्लोमा की मांग की गई थी। भर्ती प्रक्रिया के दौरान 321 अभ्यर्थियों के दस्तावेज मिसमैच पाए गए। बोर्ड ने इन अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि, अक्टूबर 2022 में नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने पर शिक्षा विभाग ने कार्रवाई शुरू की। विभाग ने 244 PTI के खिलाफ सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया। इन अभ्यर्थियों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की।
हाईकोर्ट का फैसला
244 अभ्यर्थियों ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस समीर जैन ने सरकार को 23 जनवरी तक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का आदेश दिया और फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने को कहा। कोर्ट के इस फैसले से इन अभ्यर्थियों की नौकरी पर मंडरा रहा संकट टल गया है।
मंत्री और बोर्ड के बयान
प्रदेश के शिक्षा और पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने हाल ही में कहा था कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वालों को बर्खास्त किया जाएगा और जिनकी नौकरी अभी नहीं लगी है, उन्हें जेल भेजा जाएगा। इससे पहले, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) के अध्यक्ष आलोक राज ने 5 दिसंबर 2022 को जानकारी दी थी कि PTI परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले 54 अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित कर दिया गया है। बाकी 244 मामलों में भी बोर्ड ने कार्रवाई की सिफारिश की थी।
फर्जीवाड़े के बड़े खुलासे
इस भर्ती में कई ऐसी अनियमितताएं सामने आईं, जिनमें अभ्यर्थियों ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हासिल की। कई मामलों में देखा गया कि जिन अभ्यर्थियों ने केवल 8वीं तक पढ़ाई की थी, उन्होंने शारीरिक शिक्षा में प्रमाण पत्र या डिप्लोमा का झूठा दावा किया।
अभ्यर्थियों का पक्ष
अभ्यर्थियों ने कोर्ट में दलील दी कि सभी जरूरी दस्तावेज और प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद उन्हें नौकरी दी गई थी। करीब एक साल तक सेवा देने के बाद अचानक से सेवा समाप्ति का नोटिस जारी करना अन्यायपूर्ण है।