मनीषा शर्मा । रेलवे बोर्ड ने सेफ्टी (संरक्षा) और नॉन सेफ्टी (गैर संरक्षा) श्रेणियों की विभिन्न चयन प्रक्रियाओं पर फिलहाल रोक लगा दी है। इस फैसले से देशभर में करीब 85 हजार कर्मचारियों के प्रमोशन अटक गए हैं। रेलवे के नॉन-गजेटेड सेक्शन के ज्वाइंट डायरेक्टर ने इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है कि यह रोक किसके निर्देश पर लगाई गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह फैसला रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के निर्देश पर लिया गया है।
रेलवे में कार्यरत विभिन्न कर्मचारी यूनियनों, जैसे एआईआरएफ (ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन) और अन्य कर्मचारी संगठनों ने रेलवे बोर्ड से जल्द से जल्द पदोन्नति परीक्षाएं आयोजित करने और खाली पदों को भरने की अपील की है।
सीबीआई जांच के बाद रेलवे में बड़ा बदलाव
हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पश्चिम रेलवे के बड़ौदा और अहमदाबाद तथा पूर्व-मध्य रेलवे के दीनदयाल उपाध्याय नगर मंडल में विभागीय परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कई मामले पकड़े। इसके बाद रेलवे ने फैसला लिया कि अब सभी विभागीय परीक्षाएं – एलडीसीई (लिमिटेड डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिटिव एग्जाम), जीडीसीई (जनरल डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिटिव एग्जाम) और प्रमोशन परीक्षाएं – रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) द्वारा कराई जाएंगी।
इस फैसले के तहत, 4 मार्च तक जिन ग्रुप C चयन परीक्षाओं (GDCÉ, LDCE और अन्य पदोन्नति परीक्षाएं) के नतीजे घोषित नहीं हुए थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है। इससे हजारों कर्मचारियों का प्रमोशन प्रभावित हुआ है, खासतौर पर उन लोगों का जो सहायक लोको पायलट (ALP) के चयन का इंतजार कर रहे थे।
उत्तर पश्चिम रेलवे में प्रमोशन पर रोक का असर:
अजमेर, जयपुर, बीकानेर और जोधपुर मंडल के कर्मचारियों की प्रमोशन परीक्षाएं रोक दी गई हैं।
रेलवे के तीनों कारखानों में करीब 1700 रिक्त पदों के लिए मार्च से जुलाई तक होने वाली सीबीटी परीक्षा अब रुकी हुई है।
अगर ये परीक्षाएं 30 जून तक नहीं होतीं, तो कर्मचारियों को छह महीने के इन्क्रीमेंट (वेतन वृद्धि) का नुकसान होगा, क्योंकि रेलवे में प्रमोशन मिलने के बाद ही आर्थिक लाभ दिया जाता है।
कर्मचारी यूनियन की नाराजगी और रेलवे से मांग
रेलवे में पदोन्नति की इस अनिश्चितता से हजारों कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (AIRF) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा और रेलवे यूनियन के वरिष्ठ नेता मुकेश माथुर ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और डीजी एचआर से इस मुद्दे पर चर्चा की है।
यूनियन के नेताओं का कहना है कि उत्तर पश्चिम रेलवे में अभी तक किसी भी जीडीसीई परीक्षा में अनियमितता सामने नहीं आई है और सीबीटी (कंप्यूटर आधारित परीक्षा) पूरी गोपनीयता और नियमों के तहत कराई जा रही थी। ऐसे में रेलवे को यहां लंबित जीडीसीई पैनल जल्द जारी करना चाहिए।
अगले 5 महीनों में 500 से ज्यादा पद खाली रहने की आशंका
रेलवे के इस फैसले के कारण अगले पांच महीनों में रेलवे में लगभग 500 महत्वपूर्ण पद खाली रह जाएंगे। इससे न केवल रेलवे के संचालन पर असर पड़ेगा, बल्कि जिन कर्मचारियों का प्रमोशन रुक गया है, उनके करियर पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
क्या आगे समाधान निकल सकता है?
रेलवे कर्मचारियों की मांग है कि:
रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) जल्द से जल्द एक नई प्रक्रिया तय करे और इस बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे।
जीडीसीई और एलडीसीई परीक्षाएं पुनः आयोजित की जाएं या जिन परीक्षाओं के परिणाम नहीं आए, उन्हें जल्दी घोषित किया जाए।
सीबीआई जांच के चलते पूरे देश में पदोन्नति परीक्षाओं को रोकने की बजाय केवल उन क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखी जाए, जहां भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं।
अगर रेलवे बोर्ड जल्द कोई समाधान नहीं निकालता है, तो कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन की संभावना भी बढ़ सकती है।