शोभना शर्मा। राजस्थान शिक्षा विभाग की हाल ही जारी की गई तबादला सूची ने पूरे प्रदेश में विवाद खड़ा कर दिया है। जिन प्रिंसिपलों को शिक्षा मंत्री ने हाल में निरीक्षण के दौरान लापरवाह बताया था, उन्हें यथास्थान रखा गया है, जबकि राज्य स्तर पर सम्मानित और नंबर वन स्कूल बनाने वाले प्रिंसिपल को 500 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ भेज दिया गया है। इस फैसले से आम जनता ही नहीं बल्कि शिक्षक संगठन भी हैरान और आक्रोशित हैं।
मंत्री के निरीक्षण में लापरवाही लेकिन तबादला नहीं
10 सितंबर को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सांगानेर स्थित महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, दहमी कलां का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में कई शिक्षक अनुपस्थित मिले और कैश बुक में 23 जुलाई के बाद कोई इंद्राज नहीं था। स्कूल की धूल-मिट्टी और अव्यवस्था देखकर मंत्री ने नाराज़गी जताई और प्रिंसिपल हेमेंद्र सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हाल की तबादला सूची में उन्हें उसी पद पर यथास्थान रखा गया।
नंबर वन स्कूल का प्रिंसिपल भेजा गया 500KM दूर
इस सूची में सबसे चौंकाने वाला फैसला जयपुर के महात्मा गांधी नवीन विद्याधर सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल बच्चू सिंह धाकड़ को लेकर हुआ। यह विद्यालय राजस्थान में नंबर वन घोषित किया गया है। स्कूल में 1,600 से अधिक नामांकन हैं, आधुनिक सुविधाएं विकसित की गई हैं और खुद प्रिंसिपल को राज्य स्तरीय सम्मान मिल चुका है। इसके बावजूद धाकड़ का तबादला प्रतापगढ़ कर दिया गया, जो जयपुर से लगभग 500 किलोमीटर दूर है।
अनुपस्थित प्रिंसिपल को जयपुर में ही पोस्टिंग
4 सितंबर को शिक्षा मंत्री ने जयपुर के शास्त्री नगर स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण किया। वहां प्रिंसिपल सीमा विज अनुपस्थित पाई गईं, शिक्षक मोबाइल में व्यस्त थे और कक्षाओं में झाड़ू तक नहीं लगी थी। मंत्री ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सीमा विज का तबादला जयपुर में ही मानसरोवर कर दिया गया।
शिक्षक संगठनों का विरोध
इस तबादला सूची पर शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। संगठनों का आरोप है कि यह सूची शिक्षा मंत्री के निरीक्षण और सरकारी मानकों की जगह राजनीतिक दबाव में तैयार की गई है।
राजस्थान पंचायती राज व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता नारायण सिंह सिसोदिया ने कहा, “यह तबादला नीति न्यायसंगत नहीं है। मंत्री का विद्यालय निरीक्षण केवल दिखावा था, जबकि वास्तविकता में राजनीतिक सिफारिशों और विधायकों की सूची को आधार बनाया गया है।”
संगठनों ने यह भी कहा कि सूची में कई एकल महिला, विधवा और विकलांग शिक्षकों के तबादले कर दिए गए हैं, जबकि सरकारी नियमों के अनुसार उन्हें प्राथमिकता के साथ यथास्थान रखा जाना चाहिए था। इससे प्रभावित शिक्षक वर्ग में भारी असंतोष है।
मंत्री ने दी सफाई
बढ़ते विवाद पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि लंबे समय से लंबित मांगों को ध्यान में रखते हुए तबादले किए गए हैं। इस प्रक्रिया में रिक्त पदों को भरने पर प्राथमिकता दी गई। मंत्री का कहना है कि जहां भी किसी को हटाया गया है, वहीं उसके उसी जिले में समायोजन करने की कोशिश की गई है।


