शोभना शर्मा। राजस्थान की प्रमुख सब्जी मंडियों में इन दिनों दामों का असंतुलन देखने को मिल रहा है। एक तरफ किसानों के खेतों से निकलकर आने वाली प्याज और लहसुन औने-पौने दामों में बिक रही हैं, वहीं दूसरी ओर मटर, टमाटर और पालक जैसी हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस विरोधाभास ने एक ओर किसानों की चिंता बढ़ा दी है, तो दूसरी ओर ग्राहकों की जेब पर भी बोझ डाल दिया है।
भरतपुर मंडी में प्याज 5 से 6 रुपए किलो, लागत भी नहीं निकल रही
भरतपुर की नई कृषि मंडी में इस समय प्याज के दामों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। यहां थोक में प्याज 5 से 6 रुपए किलो तक बिक रही है, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही। मंडी के व्यापारी बताते हैं कि इस बार प्याज की पैदावार अधिक हुई है और दूसरी ओर बांग्लादेश के लिए निर्यात बंद होने के कारण बाजार में आपूर्ति बढ़ गई है। इससे भावों में लगातार गिरावट आ रही है। कई किसानों का कहना है कि मंडी तक प्याज लाने, मजदूरी और ट्रांसपोर्ट की लागत जोड़ने के बाद उन्हें घाटा झेलना पड़ रहा है। ऐसे में उनके लिए उत्पादन का कोई लाभ नहीं रह गया है।
लहसुन के दाम 5 गुना तक गिरे, किसानों में हताशा
टोंक जिले की मंडियों में लहसुन के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। कुछ महीनों पहले तक लहसुन 150 से 200 रुपए किलो में बिकता था, लेकिन अब इसका थोक भाव 30 से 35 रुपए किलो रह गया है। लहसुन उत्पादक किसान बताते हैं कि यह गिरावट उनके लिए भारी नुकसान का कारण बन रही है। जिन किसानों ने बीज, खाद और सिंचाई पर ज्यादा खर्च किया था, वे अब मंडियों में दाम सुनकर हताश हैं। मंडी व्यापारियों के अनुसार, स्थानीय बाजारों में मांग कम होने और अन्य राज्यों से आपूर्ति बढ़ने के कारण दाम नीचे आए हैं। साथ ही, मौसम के अनुकूल होने से उत्पादन भी अपेक्षाकृत अधिक हुआ है।
हरी सब्जियों के दामों में उछाल, मटर ने बढ़ाई ग्राहकों की परेशानी
जहां एक ओर प्याज और लहसुन की कीमतें धरातल पर पहुंच गई हैं, वहीं मटर, मिर्ची, पालक और करेला जैसी हरी सब्जियों के दामों में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। मंडी व्यापारियों का कहना है कि मटर की नई फसल की शुरुआत होने के कारण इसका थोक दाम अभी ज्यादा है। जयपुर और आसपास के बाजारों में मटर 80 से 100 रुपए किलो तक बिक रही है। इसी तरह मिर्ची और करेला भी पहले से महंगे हो गए हैं, जिससे उपभोक्ताओं का बजट बिगड़ गया है। सब्जी विक्रेता बताते हैं कि फिलहाल मांग बनी हुई है लेकिन खरीदार मात्रा कम कर रहे हैं।
बेमौसम बरसात ने टमाटर और पालक के दाम बढ़ाए
राजधानी जयपुर की लाल कोठी सब्जी मंडी और मुहाना मंडी में सब्जियों की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। मुहाना मंडी में थोक प्याज 10 से 13 रुपए किलो तक बिक रहा है, जबकि लाल कोठी मंडी में यही प्याज खुदरा में 20 से 25 रुपए किलो तक पहुंच जाता है। विक्रेताओं के अनुसार, पिछले दिनों हुई बेमौसम बरसात ने टमाटर और पालक जैसी पत्तेदार सब्जियों की आपूर्ति को प्रभावित किया है। इसके कारण जयपुर में टमाटर 50 रुपए और पालक 40 रुपए किलो बिक रहा है। एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि खेतों में लगातार नमी और पानी भराव के कारण कई सब्जियां खराब हो गईं, जिससे बाजार में कमी और दाम दोनों बढ़ गए हैं।
किसान और उपभोक्ता दोनों परेशान
राजस्थान के इन मंडी भावों ने एक अजीब स्थिति पैदा कर दी है—जहां किसान अपनी उपज को लेकर घाटे में हैं, वहीं ग्राहक बढ़े हुए दामों से त्रस्त हैं। प्याज और लहसुन जैसे उत्पाद किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं, जबकि टमाटर, मटर और हरी सब्जियां लोगों की रसोई से धीरे-धीरे गायब होती जा रही हैं। भरतपुर और टोंक की मंडियों के व्यापारी कहते हैं कि जब तक प्याज-लहसुन का निर्यात फिर से शुरू नहीं होता या सरकारी स्तर पर समर्थन मूल्य तय नहीं किया जाता, तब तक किसानों की स्थिति सुधरना मुश्किल है।


