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ख्वाजा गरीब नवाज के 814वें उर्स की तैयारियां पूरी,16 दिसंबर को बुलंद दरवाजे पर चढ़ेगा झंडा

ख्वाजा गरीब नवाज के 814वें उर्स की तैयारियां पूरी,16 दिसंबर को बुलंद दरवाजे पर चढ़ेगा झंडा

मनीषा शर्मा अजमेर। अजमेर दरगाह शरीफ में इस वर्ष ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (ख्वाजा गरीब नवाज) के 814वें उर्स की तैयारियां जोरों पर हैं। हर साल की तरह इस बार भी लाखों जायरीन देश-विदेश से अजमेर पहुंचेंगे। दरगाह कमेटी ने उर्स का विस्तृत प्रस्तावित कार्यक्रम जारी कर दिया है, जिसे जिला प्रशासन और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय को भी भेजा गया है।

16 दिसंबर को बुलंद दरवाजे पर चढ़ेगा झंडा

दरगाह शरीफ में उर्स की शुरुआत की सबसे अहम रस्म “झंडा चढ़ाने” की होती है। इस बार यह रस्म 16 दिसंबर की शाम को पूरी की जाएगी। दरगाह कमेटी के अनुसार, सर्दी के मौसम और दिन छोटे होने के कारण झंडे का जुलूस शाम 4:45 बजे शुरू होगा। करीब 6:15 बजे तक झंडा बुलंद दरवाजे पर चढ़ा दिया जाएगा। इसी के साथ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत मानी जाएगी। इस मौके पर दरगाह परिसर में विशेष सजावट की जाएगी। रंग-बिरंगी रोशनियां, इत्र की खुशबू और सूफियाना कलाम की गूंज वातावरण को आध्यात्मिक बना देगी। हजारों जायरीन इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे।

वीवीआईपी चादरें 16 से 20 दिसंबर के बीच आने की संभावना

दरगाह कमेटी की ओर से इस बार यह प्रयास किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू सहित अन्य वीवीआईपी व्यक्तियों की चादरें झंडा रस्म के साथ ही दरगाह पहुंच जाएं। इसके लिए कमेटी मंत्रालय के साथ पत्राचार कर रही है। उद्देश्य यह है कि उर्स के मुख्य दिनों के दौरान जायरीन को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े और सुरक्षा व्यवस्थाएं सुचारू रहें। हर साल की तरह इस बार भी देशभर से राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संगठनों की ओर से चादरें भेजी जाएंगी। यह चादरें ख्वाजा साहब के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक होती हैं।

20 दिसंबर को खुलेगा ऐतिहासिक जन्नती दरवाजा

दरगाह शरीफ का प्रसिद्ध “जन्नती दरवाजा” इस्लामी कैलेंडर के जमादिउस्सानी महीने की 29 तारीख को खोला जाता है। इस बार यह तारीख 20 दिसंबर को पड़ रही है। उसी दिन तड़के सुबह 4:30 बजे दरवाजा खोला जाएगा ताकि जायरीन ख्वाजा साहब की जियारत कर सकें। शाम को मगरिब की नमाज के बाद हिलाल कमेटी की बैठक होगी, जिसमें रजब महीने के चांद की तस्दीक की जाएगी। अगर चांद दिखाई देता है, तो उसी रात से उर्स की आधिकारिक महफिलों की शुरुआत हो जाएगी। यदि चांद नहीं दिखाई देता, तो उर्स की पहली महफिल 21 दिसंबर की रात को आयोजित की जाएगी।

25 या 26 दिसंबर को उर्स का “कुल” होगा

रजब महीने की 6 तारीख को ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स का “कुल” माना जाता है। इस बार यह तारीख 25 या 26 दिसंबर को आने की संभावना है। इस दिन दरगाह के महफिल खाना में कुरान ख्वानी की जाएगी और सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक कुल की महफिल आयोजित होगी। यह कार्यक्रम उर्स का सबसे अहम और आध्यात्मिक क्षण माना जाता है, जिसमें दरगाह के सज्जादानशीन, खादीम, जायरीन और धार्मिक विद्वान शामिल होते हैं। पूरा माहौल ‘ख्वाजा की अमन की तालीम’ से गूंज उठता है।

बड़ा कुल 28 या 29 दिसंबर को

परंपरा के अनुसार, रजब महीने की 9 तारीख को “बड़ा कुल” मनाया जाता है। इस बार यह 28 या 29 दिसंबर को होगा। उस दिन दरगाह परिसर में विशेष दुआएं की जाएंगी और ख्वाजा साहब के उपदेशों पर विचार किया जाएगा।

प्रशासनिक तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था

दरगाह कमेटी ने उर्स के प्रस्तावित कार्यक्रम की जानकारी जिला प्रशासन को भेज दी है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा, यातायात, सफाई और चिकित्सा सुविधाओं की विशेष तैयारियां की जा रही हैं। हर साल की तरह इस बार भी अजमेर रेलवे स्टेशन से लेकर दरगाह परिसर तक जायरीन की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी।

अजमेर नगर निगम और पुलिस विभाग द्वारा भीड़ नियंत्रण और साफ-सफाई के लिए विशेष दल नियुक्त किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी तैनात रहेंगी ताकि किसी आपात स्थिति में त्वरित चिकित्सा सहायता मिल सके।

अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और भाईचारे का प्रतीक भी है। हर साल लाखों लोग यहां दुआ मांगने, शांति पाने और सूफी परंपरा से जुड़ने आते हैं। इस बार 814वां उर्स 16 दिसंबर से शुरू होकर 29 दिसंबर तक चलेगा। पूरे अजमेर में इस दौरान आध्यात्मिकता, आस्था और मोहब्बत का माहौल रहेगा।

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