मनीषा शर्मा। भारतीय बाजार नियामक, सेबी (SEBI), ने आईपीओ में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत देने की योजना बनाई है। अब निवेशकों को आईपीओ में शेयर आवंटित होते ही उन्हें बेचने का विकल्प दिया जा सकता है। सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने बताया कि यह कदम अनाधिकृत बाजार (ग्रे मार्केट) की गतिविधियों को रोकने और निवेशकों के लिए एक संगठित और पारदर्शी प्रणाली स्थापित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
ग्रे मार्केट पर लगेगी लगाम
ग्रे मार्केट में आईपीओ शेयरों की खरीद-बिक्री पहले से तय शर्तों के आधार पर होती है, जो कई बार अनियमित होती है। सेबी का मानना है कि अगर निवेशक अपने आवंटित शेयरों को बेचना चाहते हैं, तो उनके लिए एक संगठित और विनियमित बाजार उपलब्ध होना चाहिए। इससे ग्रे मार्केट गतिविधियों पर लगाम लगेगी और निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी।
IPO ट्रेडिंग में बदलाव क्यों?
हाल के वर्षों में कई आईपीओ में भारी सब्सक्रिप्शन देखा गया है, जिससे निवेशकों को लिस्टिंग के दिन काफी मुनाफा हुआ। इसके चलते ग्रे मार्केट में गतिविधियां भी तेजी से बढ़ी हैं। इस पर सेबी ने नजर रखते हुए एक विनियमित प्रणाली की आवश्यकता महसूस की है। अब, आईपीओ के आवंटन के तुरंत बाद निवेशक अपने शेयर बेच सकेंगे, जिससे पारदर्शिता और निवेशकों के लिए सुविधा बढ़ेगी।
प्रॉक्सी सलाहकार फर्म्स का नया पोर्टल
माधवी पुरी बुच ने यह भी घोषणा की कि दो प्रमुख प्रॉक्सी सलाहकार फर्म्स एक ऐसा पोर्टल शुरू करने वाली हैं, जो संबंधित पार्टी लेनदेन को ट्रैक करने और संचालन मानकों का आकलन करने में उपयोगी होगा। यह पोर्टल कंपनियों के हितधारकों को उनकी कार्यप्रणाली का बेहतर आकलन करने का मौका देगा।
निवेशकों के लिए क्या बदलेगा?
- प्री-आईपीओ ट्रेडिंग की सुविधा:
निवेशकों को अब लिस्टिंग से पहले ही शेयर बेचने का अधिकार मिलेगा, जिससे उन्हें लिक्विडिटी और मुनाफा दोनों का फायदा होगा।- पारदर्शिता और सुरक्षा:
संगठित बाजार के माध्यम से होने वाली ट्रेडिंग निवेशकों के लिए अधिक सुरक्षित और पारदर्शी होगी।- ग्रे मार्केट गतिविधियों पर रोक:
यह कदम ग्रे मार्केट में अनियमित गतिविधियों को कम करने में मदद करेगा।
सेबी का बयान
एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया (AIBI) के एक कार्यक्रम में सेबी चेयरपर्सन ने कहा, “अगर निवेशक अपने शेयर बेचना चाहते हैं, तो उन्हें संगठित बाजार में यह अवसर मिलना चाहिए। ग्रे मार्केट पर भरोसा करना सही नहीं है।”