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आपात स्थिति की तैयारी: जयपुर समेत 28 शहरों में 7 मई को मॉक ड्रिल

आपात स्थिति की तैयारी: जयपुर समेत 28 शहरों में 7 मई को मॉक ड्रिल

शोभना शर्मा।  राजस्थान राज्य में पहली बार इतनी व्यापक स्तर पर युद्ध जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के निर्देश पर 7 मई 2025 को राज्य के 28 प्रमुख शहरों में यह अभूतपूर्व अभ्यास होगा। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य है कि नागरिक, प्रशासन और आपदा प्रबंधन इकाइयां किसी भी आकस्मिक सैन्य या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में समुचित तरीके से प्रतिक्रिया देना सीखें। जयपुर इस पूरे आयोजन का केंद्र रहेगा, जहां विशेष रूप से ब्लैकआउट और सायरन प्रणाली का व्यावहारिक अभ्यास किया जाएगा। जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें पूरी तैयारी के साथ इस ड्रिल में हिस्सा लेंगी।

जयपुर में कहां बजेंगे सायरन

राजधानी जयपुर में 8 प्रमुख स्थानों पर सायरन लगाए गए हैं। इन सायरनों का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के खतरों के प्रति लोगों को सतर्क करना है। सायरन निम्नलिखित स्थानों पर बजेंगे:

  • राजभवन

  • डीएसओ ऑफिस

  • कलेक्टरेट भवन

  • शासन सचिवालय

  • बीएसएनएल कार्यालय

  • गवर्नमेंट हॉस्टल

  • चांदपोल

  • शास्त्री नगर

  • चौगान स्टेडियम

  • सांगानेरी गेट

ड्रिल के दौरान इन सायरनों की ध्वनि नागरिकों को यह संकेत देगी कि तत्काल सावधानी बरती जाए और सभी लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।

ब्लैकआउट अभ्यास की विशेष तैयारी

ड्रिल का एक अहम हिस्सा ब्लैकआउट का अभ्यास होगा। ड्रिल के समय पूरे जयपुर शहर में बिजली की रोशनी, घरेलू इनवर्टर, मोबाइल फ्लैशलाइट, टॉर्च और यहां तक कि मोमबत्ती जलाना भी प्रतिबंधित रहेगा। नागरिकों को यह सिखाया जाएगा कि ब्लैकआउट के दौरान रोशनी न जलाकर किस तरह वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और संभावित हमले से बच सकते हैं।

प्रशासन की अपील और तैयारी

जयपुर जिला कलेक्टर की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि वे इस मॉक ड्रिल को गंभीरता से लें और प्रशासन को सहयोग दें। उन्होंने विशेष रूप से कहा है कि यदि कोई व्यक्ति ड्रिल के दौरान वाहन चला रहा हो, तो वह हेडलाइट बंद रखें। यह अभ्यास पूर्ण रूप से एक युद्धकालीन स्थिति के लिए मानसिक और भौतिक रूप से तैयार करने हेतु किया जा रहा है। इसके अलावा, सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्टाफ को अलर्ट पर रखें और ड्रिल में सक्रिय रूप से भाग लें। स्कूलों, कॉलेजों और निजी संस्थानों को भी सूचना दी गई है कि ड्रिल के समय उचित सावधानी बरती जाए।

ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद यह पहली बार है जब किसी राज्य में इतनी व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। यह कदम न केवल सुरक्षा दृष्टि से अहम है, बल्कि नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों से निपटने की मानसिकता विकसित करने का भी माध्यम है।

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