मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजनीति और प्रशासन में एक बार फिर से बड़े फेरबदल की आहट सुनाई दे रही है। सत्ता, संगठन और ब्यूरोक्रेसी—तीनों स्तरों पर परिवर्तन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। माना जा रहा है कि अंता विधानसभा उपचुनाव के परिणाम (14 नवंबर) आने के बाद सरकार इन बदलावों को अंतिम रूप दे देगी। मुख्य सचिव सुधांशु पंत के दिल्ली तबादले ने राज्य प्रशासन में नई हलचल पैदा कर दी है, वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कैबिनेट में विस्तार या फेरबदल की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय हो रहा है जब दिसंबर में भजनलाल शर्मा सरकार के दो साल पूरे होने जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व इस मौके को जनता के बीच नई ऊर्जा, नए चेहरों और मजबूत टीम के साथ प्रस्तुत करना चाहता है।
ब्यूरोक्रेसी में नई लीडरशिप की तलाश
मुख्य सचिव सुधांशु पंत के दिल्ली ट्रांसफर के बाद राजस्थान सरकार अब नए प्रशासनिक मुखिया की तलाश में है। यह पद राज्य की नौकरशाही का सबसे बड़ा और प्रभावशाली पद होता है, जो मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं और शासन की दिशा तय करता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस पद के लिए कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के नामों पर गंभीरता से विचार कर रही है। प्रशासनिक हलकों में इस नियुक्ति को लेकर कयासबाजी तेज है और जल्द ही नए मुख्य सचिव की घोषणा होने की संभावना है।
राज्य प्रशासन में इस फेरबदल को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के “गुड गवर्नेंस एजेंडा” से जोड़ा जा रहा है। माना जा रहा है कि नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के साथ ही प्रशासनिक ढांचे में नई कार्यशैली और सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जा सकता है।
मंत्रिमंडल पुनर्गठन की चर्चा तेज
राजनीतिक गलियारों में इस समय सबसे अधिक चर्चा मंत्रिमंडल विस्तार या पुनर्गठन की हो रही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व चाहता है कि अगले साल होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों से पहले सरकार की टीम को और मजबूत तथा संतुलित किया जाए।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राजस्थान में गुजरात मॉडल लागू किया जाएगा? इस मॉडल में पुराने और मौजूदा सभी मंत्रियों से इस्तीफा लेकर एक नई, सीमित और चुनी हुई टीम बनाई जाती है। अगर यह फॉर्मूला अपनाया जाता है, तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सीमित और सक्षम चेहरों को नए मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं।
इस कदम का उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि संगठनात्मक संतुलन भी साधना है। प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए यह फेरबदल भाजपा के लिए आने वाले चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
अंता उपचुनाव: भाजपा के लिए ‘लिटमस टेस्ट’
राजस्थान के अंता विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव भाजपा के लिए राजनीतिक लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। पार्टी चाहती है कि इस चुनाव के नतीजों के बाद ही प्रशासनिक और संगठनात्मक फेरबदल को अंतिम रूप दिया जाए।
भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी सूची लगभग तैयार बताई जा रही है और इसके साथ ही बोर्ड, आयोग और निगमों में लंबित राजनीतिक नियुक्तियां भी पूरी की जाएंगी। इन पदों पर पार्टी वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रतिनिधित्व देकर संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की रणनीति बना रही है।
नई ऊर्जा के साथ जनता के बीच उतरने की तैयारी
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की रणनीति स्पष्ट है — सरकार, संगठन और प्रशासन तीनों स्तरों पर एक साथ परिवर्तन लाकर जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश देना कि भाजपा सरकार नई ऊर्जा, नई सोच और नए चेहरों के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
दिसंबर से पहले होने वाले ये बदलाव न केवल राजस्थान की राजनीतिक दिशा तय करेंगे, बल्कि राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली और संगठनात्मक ढांचे को भी नई पहचान देंगे।
आगामी स्थानीय चुनावों के दृष्टिकोण से यह “महा-फेरबदल” भाजपा के लिए अहम साबित हो सकता है, क्योंकि इससे जनता के बीच नया नेतृत्व और नई उम्मीदों का संदेश जाएगा, जो 2026 के चुनावी माहौल में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।


