शोभना शर्मा। राजस्थान में जातिगत अधिकारों और आरक्षण की मांग को लेकर विभिन्न समुदायों के आंदोलनों का सिलसिला जारी है। भरतपुर में जाट और गुर्जर समाज की हाल ही में आयोजित महापंचायत के बाद अब कुशवाह समाज ने भी अपने हक की आवाज बुलंद कर दी है। समाज के प्रमुख नेताओं और प्रतिनिधियों की एक अहम बैठक भरतपुर के रुदावल कस्बे में आयोजित की गई, जिसमें आगामी आंदोलन की रणनीति तय की गई।
इस बैठक में समाज के संयोजक वासदेव प्रसाद कुशवाहा ने घोषणा की कि कुशवाह समाज अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर एक बार फिर सरकार के समक्ष दबाव बनाएगा। इसके लिए दो महापंचायतों का आयोजन किया जाएगा—पहली 6 जुलाई को करौली जिले के मडरायल में और दूसरी 13 जुलाई को धौलपुर जिले के बसई नवाब कस्बे में। इन पंचायतों में प्रदेश भर से कुशवाह समाज के लोग जुटेंगे और आगे की रणनीति पर निर्णय लेंगे।
2022 में भी उठा चुके हैं आवाज
वासदेव प्रसाद कुशवाहा ने जानकारी दी कि समाज ने 2022 में भी अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर नेशनल हाईवे जाम किया था। उस समय सरकार ने वार्ता के जरिए समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे समाज में गहरा असंतोष व्याप्त है।
12 सूत्रीय मांगों में क्या शामिल है?
कुशवाह समाज की प्रमुख मांगों में आरक्षण को सर्वोपरि बताया गया है। इसके अतिरिक्त, जातिगत जनगणना में ‘कुशवाह’ शब्द को स्पष्ट रूप से अंकित करने, लवकुश बोर्ड का गठन करने, उसमें राजनीतिक नियुक्तियां करने और वित्तीय बोर्ड का दर्जा देने जैसी मांगें भी शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षा, रोजगार, आर्थिक सहायता और सामाजिक प्रतिनिधित्व जैसे विषयों को लेकर भी मांग पत्र तैयार किया गया है।
सरकार से वार्ता के लिए समिति गठित
आंदोलन को व्यवस्थित और सुसंगठित रूप देने के लिए समाज ने एक वार्ता समिति का भी गठन किया है, जो सरकार से नियमित रूप से संवाद करेगी। इस समिति के माध्यम से समाज यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उनकी मांगें सिर्फ कागज़ों तक सीमित न रहें, बल्कि धरातल पर भी अमल में लाई जाएं।
पंचायतों में बनेगी आंदोलन की रणनीति
वासदेव प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि 6 जुलाई को करौली के मडरायल में होने वाली पंचायत में प्रदेश भर से कुशवाह प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसी प्रकार, 13 जुलाई को धौलपुर के बसई नवाब में पंचायत आयोजित होगी। इन बैठकों में समाज अपनी आगे की रणनीति, संभावित आंदोलन के स्वरूप और सरकार के प्रति सामूहिक निर्णय लेगा।
बढ़ते आंदोलन और सरकार पर दबाव
राजस्थान में हाल के दिनों में विभिन्न जातियों द्वारा आरक्षण और सामाजिक प्रतिनिधित्व की मांगों को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है। जाट, गुर्जर, यादव और अब कुशवाह समाज द्वारा की जा रही पंचायतें राज्य सरकार के लिए चुनौती बन सकती हैं, विशेष रूप से तब जब अगले कुछ महीनों में कई प्रशासनिक निर्णय लंबित हैं।
जातीय संतुलन की नई चुनौती
इन आंदोलनों से यह स्पष्ट है कि राजस्थान की राजनीति अब सिर्फ जातिगत संतुलन तक सीमित नहीं रही, बल्कि हर समाज अपने अधिकारों और हिस्सेदारी की मांग को लेकर मुखर हो चुका है। कुशवाह समाज की मांगें भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हिस्सेदारी की मांग प्रमुख है।