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जयपुर की बदहाल सड़कों और फर्जी पट्टों पर प्रताप खाचरियावास का हमला

जयपुर की बदहाल सड़कों और फर्जी पट्टों पर प्रताप खाचरियावास का हमला

मनीषा शर्मा।  राजधानी जयपुर की बिगड़ी हुई स्थिति और स्थानीय समस्याओं को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने राज्य की भजनलाल सरकार को कड़े शब्दों में निशाना बनाया है। रविवार को दिए बयान में उन्होंने कहा कि सरकार राहत कैंप के नाम पर आम जनता को गुमराह कर रही है, जबकि मूलभूत समस्याएं—सड़कों की बदहाली, सीवरेज बंदिशें और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के पट्टों का मामला—व्यवस्थित रूप से अनसुलझा छोड़ दिया गया है। उनका कहना है कि जनता को इन बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान रहना पड़ रहा है और अब भाजपा के कार्यकर्ता भी उनके पास आकर मदद मांगते हैं।

खाचरियावास ने तंज कसते हुए कहा कि वर्तमान सरकार के कई प्रमुख नेता—मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा और कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़—जयपुर से ही विधायक हैं, फिर भी जिले की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही। उन्होंने आरोप लगाया कि कई इलाकों में नाला सफाई के टेंडर तक नहीं हुए हैं, शहर की सड़कों में गड्ढे भरे पड़े हैं और खड्डों को भरने का काम भी अधूरा है। ऐसे में आमजन को यातायात, स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

फर्जी पट्टों के मामले पर खाचरियावास ने सरकार की कथित चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उनके अनुसार पूर्व सरकार के समय उठी फर्जी पट्टों की शिकायतों पर कार्रवाई की गई थी और जांच चल रही थी, लेकिन मौजूदा सरकार में बस्सी, सीतारामपुरा, नेहरू नगर समेत कई इलाकों में फिर से बड़े पैमाने पर फर्जी पट्टों के मामले सामने आए हैं। उन्होंने जयपुर विकास प्राधिकरण पर भी आरोप लगाया कि सरकारी जमीनों के गलत पट्टे बनाए जा रहे हैं और इन मामलों की जांच व पारदर्शिता शीघ्र जनता के सामने लानी चाहिए।

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि जहां सरकार जनता से जुड़े कार्यों में विफल रही है, वहीं चुनिंदा लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा कर खुशामद और मुनाफा कमा रहे हैं। खाचरियावास ने कहा कि शहर चलो अभियान के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है—कागजी आंकड़े और दिखावे के बहाने वास्तविक समस्याओं पर काम नहीं हो रहा। उनका कहना रहा कि जनता को केवल चुनावी समय पर ही भरोसा दिखाया जाता है, जबकि स्थानीय सुविधाओं की सुध लेने का ठोस प्रयास दिखाई नहीं देता।

एक और गंभीर आरोप में खाचरियावास ने राज्य में गायों की मौत और गो-तस्करी के बढ़ते मामलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब से वर्तमान सरकार बनी है, तब से गायों की मौत के आंकड़े लगातार बढ़े हैं और शहर से पकड़ी गई गायें गोशाला तक नहीं पहुंच रही। जो गायें गोशाला पहुंचती भी हैं, वहां उन्हें पर्याप्त चारा नहीं मिल रहा और उनकी मौत होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह स्थिति पशुपालकों और पशु-उद्योग से जुड़े लोगों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हुई कथित दुर्व्यवहार की घटनाओं का जिक्र कर खाचरियावास ने कहा कि अब भाजपा के कार्यकर्ता भी उनके पास आकर रोते हैं। उनके मुताबिक कार्यकर्ताओं के ठेले पकड़े जा रहे हैं, बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए जा रहे हैं और छोटे कारोबारियों का उत्पीड़न हो रहा है—ऐसा व्यवहार कांग्रेस के शासनकाल में सामान्यतः देखने को नहीं मिलता था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके घर पर ईडी का दखल हुआ और उन्होंने खुला चेतावनी भरा संदेश दिया कि दोषियों को जल्द ही उनके कृत्यों का नतीजा भुगतना होगा।

भूमि-घोटाले के संदर्भ में यूनियन इलाके और विकास प्राधिकरण पर उठे सवालों के hawale से UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा का भी संदर्भ देते हुए खाचरियावास ने कहा कि खर्रा ने विधानसभा में कहा था कि लैंड के बदले लैंड घोटाले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, पर दो साल बीतने के बाद भी किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। इस निष्क्रियता को लेकर खाचरियावास ने सरकार पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया और आश्वस्त किया कि जल्द ही इन मामलों की ‘बंदरबात’ जनता के सामने आएगी।

स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों के संदर्भ में खाचरियावास ने सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल उठाया। उनका कहना है कि वर्तमान सरकार निकाय और पंचायत चुनाव कराने की मंशा नहीं दिखा रही है और चुनावों के ऐलान के बाद ही कांग्रेस अपनी रणनीति सार्वजनिक करेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि जनता जिसके साथ है, वही जीतता है, और इस बार नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कमजोर पड़ेगी।

अंत में खाचरियावास ने कहा कि वे जयपुर की जनता के लिए सडकों पर उतरकर लड़ाई करना चाहते हैं और पार्टी संगठन में शहर अध्यक्ष के लिए किसी नए चेहरे को अवसर दिया जाना चाहिए। उनका यह बयान स्थानीय पॉलिटिकल ड्रामे और आने वाले दिनों में तेज बहस की ओर इशारा करता है—जहां बुनियादी लोक-समस्याएं, भूमि घोटाले और सरकारी जवाबदेही सबसे बड़े एजेंडे बने हुए हैं।

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