मनीषा शर्मा। कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने देवली-उनियारा विधानसभा सीट से उपचुनाव में अपनी उम्मीदवारी से इंकार करते हुए सचिन पायलट समर्थक युवा नेता नरेश मीणा को टिकट देने की मांग की है। गुंजल ने कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष और अन्य नेताओं को पहले ही सूचित कर दिया है कि वे उपचुनाव के दावेदार नहीं हैं। उनका मानना है कि नरेश मीणा कांग्रेस के लिए एक उभरती हुई पूंजी हैं और उन्हें देवली-उनियारा से टिकट दिया जाना चाहिए।
देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव की सियासी गहमागहमी
राजस्थान में जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट भी शामिल है। इस सीट पर कांग्रेस के टिकट के प्रमुख दावेदार प्रहलाद गुंजल माने जा रहे थे। लेकिन हाल ही में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने नरेश मीणा के लिए टिकट की मांग कर सियासी चर्चाओं को नया मोड़ दे दिया है।
प्रहलाद गुंजल ने कहा, “नरेश मीणा संघर्षशील और उर्जावान नेता हैं। ऐसे युवा नेता कम मिलते हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान मेरे लिए प्रचार किया था और उनका प्रचार का तरीका और भाषण ने कई नेताओं को प्रभावित किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि वह कांग्रेस की पूंजी बनकर उभरेंगे।”
लोकसभा चुनाव में नरेश मीणा ने गुंजल के लिए किया प्रचार
प्रहलाद गुंजल मूलत: कोटा से हैं और उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थामा था। कोटा सीट से उन्होंने ओम बिरला के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस दौरान नरेश मीणा ने गुंजल के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नरेश मीणा का प्रचार करने का अनोखा तरीका और उनकी सभाओं में युवाओं की भारी भीड़ ने उन्हें कांग्रेस के कई नेताओं की नजरों में ला दिया। अब वही नरेश मीणा देवली-उनियारा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।
देवली-उनियारा में कई उम्मीदवार, लेकिन नरेश मीणा मजबूत दावेदार
देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर कई दावेदार हैं, जिसमें टोंक-सवाई माधोपुर सांसद हरीशचंद्र मीणा के बेटे हनुमंत सिंह भी शामिल हैं। हालांकि, प्रहलाद गुंजल का मानना है कि नरेश मीणा इस सीट के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार हैं। गुंजल के अनुसार, “नरेश मीणा संघर्षशील और मेहनती हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में मेरे लिए तन-मन से काम किया था और अब मैं उनका हक अदा कर रहा हूं। ऐसे राजनीतिक महत्वाकांक्षा के समय में गुंजल जैसे नेता कम मिलते हैं जो साफगोई से अपने विचार व्यक्त करते हैं।”
पायलट समर्थक नरेश मीणा की बढ़ती लोकप्रियता
नरेश मीणा सचिन पायलट के करीबी समर्थकों में गिने जाते हैं। उनकी राजनीतिक पहचान एक जुझारू और संघर्षशील नेता के रूप में है। 45 वर्षीय नरेश मीणा का पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती क्षेत्र में विशेष क्रेज है। उन्हें “छोटा किरोड़ी” के नाम से भी जाना जाता है। उनका दबंग अंदाज और छात्रों के लिए किए गए आंदोलनों के कारण वह युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हो गए हैं।
नरेश मीणा का संघर्षमय सफर
नरेश मीणा का सफर संघर्ष और आंदोलन की राजनीति से भरा रहा है। बारां जिले के छोटे से गांव नयागांव के निवासी नरेश ने 2002 में राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई के टिकट पर छात्रसंघ महासचिव का चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने 2004 में विश्वविद्यालय अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा। उन्होंने 2023 में छबड़ा-छीपाबड़ौद से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और 43,921 वोट हासिल किए थे।
उनकी युवा लोकप्रियता और उनकी कार्यशैली ने उन्हें कांग्रेस की राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई है। नरेश मीणा का प्रभाव बारां, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, अलवर, कोटा, भरतपुर, उदयपुर, डूंगरपुर और सीकर जैसे क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उनके सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स हैं और वे युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
राजनीतिक चर्चाएं और कयास
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नरेश मीणा की दावेदारी को लेकर प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि, नरेश मीणा को सचिन पायलट के करीबी माना जाता है, लेकिन लोकसभा चुनाव में प्रहलाद गुंजल के प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी प्रभावित किया है। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस उन्हें देवली-उनियारा से टिकट देगी या नहीं।
कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने अपनी साफगोई से राजनीति में एक नया मोड़ दिया है। उन्होंने देवली-उनियारा सीट से खुद की उम्मीदवारी से इंकार करते हुए नरेश मीणा को कांग्रेस का भविष्य बताया है। नरेश मीणा की लोकप्रियता और संघर्षशील छवि ने उन्हें इस सीट के लिए एक मजबूत दावेदार बना दिया है। अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी किसे इस महत्वपूर्ण सीट से टिकट देती है।