शोभना शर्मा। जयपुर के विद्याधर नगर में चल रही शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने धार्मिक प्रवचनों के बीच सामाजिक विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने विशेष रूप से बेटियों को लव जिहाद से सावधान रहने की सलाह दी और पाकिस्तान से बदला लेने की बात को भी अपने प्रवचन में जोड़ा। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, संस्कार, विवाह और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी केंद्र में रखते हुए अपने विचार प्रकट किए।
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि बेटियों को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए जो छोटी-छोटी बातों में उन्हें फांसने की कोशिश करते हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “दूसरों का पेट्रोल डलवाकर, बाइक से स्टंट दिखाकर, 10 रुपए की चाउमिन खिलाकर, थोड़ी सी बॉडी दिखाकर तुम्हें फंसाने का प्रयास करेंगे। बेटियों को चाहिए कि वो अपने माता-पिता को कन्यादान का अवसर दें और जीवन को सार्थक बनाएं।”
उन्होंने लव जिहाद का सीधा उल्लेख करते हुए कहा कि युवतियां किसी के झांसे में न आएं। उन्होंने भावनात्मक अंदाज में कहा कि “जिस माता-पिता ने अपनी पूरी कमाई, जेवर और जमीन गिरवी रखकर तुम्हें पढ़ाया, आज वही बेटी किसी और को ‘चांद का टुकड़ा’ कहने लगी है। थोड़ी समझदारी और विवेक जरूरी है।”
प्रदीप मिश्रा ने शिक्षा के महत्व पर भी बल देते हुए कहा कि “महिला के लिए सबसे बड़ा धन शिक्षा है। बेटों को जितना पढ़ाओ, बेटियों को उससे दोगुना पढ़ाओ। ताकि उन्हें कन्यादान की जरूरत न पड़े, बल्कि वो आत्मनिर्भर बनें।” उन्होंने विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी को जन्म देने वाली एक शिक्षित महिला ही थी।
कथा के बीच उन्होंने यह भी कहा कि “परमात्मा, माता-पिता और पत्नी पर कभी भी शंका नहीं करनी चाहिए, क्योंकि शंका जीवन को नष्ट कर देती है।” उन्होंने जीवन के दो चरणों – बचपन और 55 वर्ष की उम्र – का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि “बचपन की बात दिल में और 55 की बात दिमाग में मत रखो, वरना जीवन बोझ बन जाएगा।”
प्रदीप मिश्रा ने पाकिस्तान पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि “कुछ लोग पूछ रहे हैं कि पाकिस्तान से कब बदला लिया जाएगा। लेकिन बदला लेने के लिए सिर्फ बम या बंदूक नहीं, बल्कि बुद्धि की जरूरत होती है। युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बुद्धि से भी लड़ा जाता है। पाकिस्तान से बदला लिया जाएगा, लेकिन समय आने पर।”
अपने प्रवचन के अंत में उन्होंने जयपुरवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि “यह कथा कोई सामान्य बात नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शंकर और गोविंद देव जी की प्रेरणा से हो रही है। जयपुर की भूमि पर यह कथा पुनः आरंभ होना इस बात का संकेत है कि भगवान शिव की दृष्टि इस नगर पर विशेष है।”