शोभना शर्मा। राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी जिला और उपजिला अस्पतालों के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत अब मेडिको लीगल केस (एमएलसी) और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स को मैन्युअल तरीके से नहीं बल्कि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से तैयार करना अनिवार्य कर दिया गया है।
यह निर्णय 1 मई 2025 से पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गया है और इसका उद्देश्य रिपोर्ट प्रक्रिया को पारदर्शी, त्वरित और गोपनीय बनाना है।
मुख्य सचिव की बैठक के बाद आया बड़ा फैसला
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. रविप्रकाश शर्मा की ओर से जारी आदेश के अनुसार, हाल ही में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि एमएलसी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स को अब मेडिकल विभाग के विशेष पोर्टल पर ही तैयार किया जाए।
यह पोर्टल न केवल रिपोर्ट की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि संबंधित पुलिस थानों को भी रिपोर्ट सीधे ऑनलाइन भेजी जाएगी, जिससे कागजी प्रक्रिया में होने वाली देरी और रिपोर्ट लीक होने की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी।
तकनीकी संसाधन होंगे उपलब्ध
इस नई व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए हर जिला और उपजिला अस्पताल को तकनीकी संसाधनों से लैस करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति, कंप्यूटर, प्रिंटर और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रिपोर्ट तैयार करने में कोई तकनीकी बाधा न आए और अधिकारी निर्धारित समय में पोर्टल पर रिपोर्ट दर्ज कर सकें।
अनदेखी पर होगी अनुशासनात्मक कार्यवाही
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई अस्पताल प्रशासन या मेडिकल जूरिस्ट रिपोर्ट को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दर्ज नहीं करता और मैन्युअल रूप से कार्य करता है, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि जिला स्तर पर पीएमओ (प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर) और मेडिकल जूरिस्ट इस प्रक्रिया के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। किसी भी प्रकार की लापरवाही की स्थिति में उन पर कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट की गोपनीयता और पारदर्शिता होगी सुनिश्चित
ऑनलाइन रिपोर्टिंग की इस नई प्रणाली से सबसे बड़ा लाभ रिपोर्ट की गोपनीयता और पारदर्शिता के रूप में सामने आएगा। पहले जहां मैन्युअल रिपोर्टिंग के दौरान रिपोर्ट लीक होने या उनमें हेरफेर की संभावना रहती थी, अब यह जोखिम लगभग समाप्त हो जाएगा।
साथ ही, रिपोर्ट सीधे पोर्टल से संबंधित थानों तक पहुंचने से जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति भी सुनिश्चित होगी।