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गहलोत के बयान पर पूनिया बोले- राजनीतिक असुरक्षा से घिरे हैं

गहलोत के बयान पर पूनिया बोले- राजनीतिक असुरक्षा से घिरे हैं

मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजनीति में बयानबाजी का दौर लगातार जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया जिसने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी। गहलोत ने कहा था, “अगर वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री होतीं तो मजा आता।” इस टिप्पणी को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। खासकर बीजेपी खेमे में इसे लेकर नाराजगी साफ देखी जा रही है। इसी कड़ी में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने गहलोत पर करारा हमला बोला और उन्हें राजनीतिक असुरक्षा से ग्रस्त बताया।

पूनिया का पलटवार: सत्ता से बाहर रहना गहलोत को मंजूर नहीं

जयपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सतीश पूनिया ने गहलोत के बयान पर सीधा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि गहलोत इस तरह की बयानबाजी केवल अपनी राजनीतिक असुरक्षा को छुपाने के लिए कर रहे हैं। पूनिया ने तीखा हमला बोलते हुए कहा, “गहलोत हमेशा सत्ता में रहे हैं। 29 साल की उम्र में वे इंदिरा गांधी की सरकार में उप-मंत्री बन गए थे। मैंने उन्हें कभी सड़क पर संघर्ष करते नहीं देखा। सत्ता से बाहर रहना उन्हें कभी गवारा नहीं रहा।”

पूनिया ने आगे कहा कि गहलोत के भीतर यह बेचैनी साफ झलकती है कि आने वाले समय में उनकी पार्टी और उनकी भूमिका क्या होगी। उन्होंने कटाक्ष किया कि गहलोत की चिंता केवल सत्ता, पार्टी में अपनी स्थिति और अपने बेटे की राजनीतिक भविष्य को लेकर है।

‘फ्री में विपक्ष का रोल सिखा दूंगा’

गहलोत ने अपने बयान में कहा था कि वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सफल हों, लेकिन साथ ही उन्होंने वसुंधरा राजे का नाम लेकर बीजेपी की अंदरूनी गुटबाजी पर तंज कसा। इस पर पलटवार करते हुए पूनिया ने कहा कि गहलोत के खाते में आज तक एक भी आंदोलन दर्ज नहीं है। उन्होंने कहा, “गहलोत को केवल बयान देने में मजा आता है, संघर्ष करने की उनकी उम्र नहीं रही। अगर उन्हें विपक्ष की भूमिका निभाना सीखनी है तो मैं उन्हें मुफ्त में कोचिंग देने को तैयार हूं।”

कन्हैयालाल हत्याकांड पर भी गर्माई सियासत

गहलोत ने हाल ही में दिए एक अन्य बयान में कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर भी केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि तीन साल बीत जाने के बाद भी एनआईए इस मामले में नतीजा नहीं निकाल पाई। गहलोत ने दावा किया कि अगर यह केस उनकी सरकार के पास रहता तो छह से आठ महीने में ही आरोपियों को सजा हो जाती। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने तो तीन घंटे में आरोपियों को पकड़ लिया था। लेकिन बीजेपी ने इस केस को एनआईए को सौंप दिया और आज भी न्याय दूर है।”

गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि इस हत्याकांड में शामिल आरोपी बीजेपी के कार्यकर्ता थे और इसी वजह से मामले में देरी हो रही है।

इस बयान पर सतीश पूनिया ने कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि गहलोत केवल गड़े मुर्दे उखाड़ने का काम कर रहे हैं। पूनिया ने कहा कि यह बयान गहलोत की सरकार के दौरान राज्य में बिगड़ी कानून-व्यवस्था को उजागर करता है।

सरकार गिराने की कोशिश का मामला

गहलोत ने अपने हालिया बयानों में 2020 की उस राजनीतिक उठापटक को भी याद किया, जब उनकी सरकार गिराने की कोशिश हुई थी। उन्होंने कहा कि वह पूरा प्रकरण “प्रैक्टिकल” था, लेकिन बाद में इसे फाइनल रिपोर्ट देकर “थ्योरेटिकल” बना दिया गया। गहलोत का कहना था कि एफआर का मतलब यह नहीं होता कि केस खत्म हो गया। उनका आरोप था कि एक क्रिमिनल केस को इस तरह बंद नहीं किया जा सकता।

पूनिया ने इस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत समय-समय पर ऐसे बयान देते हैं ताकि सुर्खियों में बने रहें। लेकिन जनता जानती है कि उनकी सरकार किस तरह आंतरिक कलह और अव्यवस्था से जूझ रही थी।

बीजेपी और कांग्रेस में बयानबाजी की जंग

गहलोत और पूनिया के बीच यह बयानबाजी साफ दिखाती है कि राजस्थान की राजनीति आने वाले दिनों में और भी गरमाने वाली है। एक तरफ गहलोत लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं और संवेदनशील मुद्दों को उठाकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी नेता पलटवार कर उन्हें सत्ता-लोलुप और असुरक्षित बताने से पीछे नहीं हट रहे।

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