मनीषा शर्मा। राजस्थान में सर्दी की शुरुआत के साथ ही वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है। जयपुर, बीकानेर, अजमेर, कोटा जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे जिलों तक हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है। नवंबर में राज्य के कई शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 150 से ऊपर पहुंच गया है, जबकि कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर 200 के पार चला गया है, जिसे ‘अनहेल्दी’ श्रेणी माना जाता है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे तापमान नीचे जाएगा, हवा का घनत्व बढ़ेगा और टेंपरेचर इनवर्जन के कारण वायु प्रदूषण सतह के पास ही जमा होने लगेगा। ऐसे में सांस की बीमारियों, दमा, एलर्जी और हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए जोखिम और बढ़ जाएगा।
एनसीआर और एनकैप शहरों में बढ़ा प्रदूषण
एनसीआर क्षेत्र में शामिल भिवाड़ी की स्थिति सबसे अधिक खराब रही। अक्टूबर में यहां AQI 205 था, जो नवंबर में बढ़कर 298 पहुंच गया—जो बेहद खतरनाक स्तर है।
भरतपुर में नवंबर का AQI 156 रहा, जबकि अक्टूबर में यह 138 था।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनकैप) में राजस्थान के Jaipur, Jodhpur, Kota, Udaipur और Bharatpur शामिल हैं। इनमें उदयपुर को छोड़कर सभी शहरों में नवंबर का औसत AQI 150 से अधिक रिकॉर्ड किया गया, जो गंभीर चिंता का विषय है।
प्रदूषण बढ़ा, बजट पर संकट भी
एनकैप के तहत शहरों को वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए केंद्र सरकार बजट आवंटित करती है, लेकिन इसकी शर्त है कि शहर का औसत AQI 125 से कम होना चाहिए।
पिछले वर्ष जयपुर में प्रदूषण का स्तर अधिक रहने के कारण इसे एनकैप का बजट जारी नहीं हो सका था। इस वर्ष भी यह स्थिति दोहराई जा सकती है, क्योंकि जयपुर का नवंबर AQI 150 पर पहुंच गया।
इन शहरों में AQI 150 के पार
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों के अनुसार, निम्न शहरों में हवा ‘अनहेल्दी’ कैटेगरी में दर्ज की गई:
कोटा – 154
सीकर – 151
बीकानेर – 151
अलवर – 150
भरतपुर – 155
झालावाड़ – 168
चित्तौड़गढ़ – 165
बूंदी – 156
दौसा – 154
झुंझुनूं – 153
अजमेर – 151
जयपुर – 150
धौलपुर – 129
श्रीगंगानगर – 125
इन शहरों में AQI 200 पार
कुछ शहरों में स्थिति और भी खराब रही:
जैसलमेर – 205
बारां – 200
प्रतापगढ़ – 220
श्रीगंगानगर (दूसरा आंकड़ा) – 207
यह आंकड़े बताते हैं कि सर्दी के साथ प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है और कई शहर ‘अनहेल्दी’ श्रेणी में पहुंच गए हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दी में टेंपरेचर इनवर्जन की संभावना अधिक रहती है, जिसमें गर्म हवा ऊपर उठ जाती है और ठंडी हवा जमीन की सतह पर ठहर जाती है। इससे प्रदूषण के कण जमीन के पास ही जमा हो जाते हैं और AQI बढ़ जाता है।


