शोभना शर्मा। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में उद्योगों के विकास के उद्देश्य से भूमि अधिग्रहण के नियमों में बड़ा बदलाव करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास और निवेश निगम लिमिटेड (RIICO) को भूमि अधिग्रहण के अधिकार देने का प्रस्ताव रखा गया है। इस मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच सियासी घमासान शुरू हो गया है।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि रीको को भूमि अधिग्रहण के अधिकार देने का निर्णय राइजिंग राजस्थान समिट में हुए निवेश समझौतों को शीघ्र लागू करने के उद्देश्य से लिया गया है। इस फैसले का उद्देश्य राज्य में नए उद्योग स्थापित करना और आर्थिक विकास को गति देना है।
उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता
खर्रा ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान सरकार का लक्ष्य है कि राज्य में निर्यातोन्मुखी उद्योगों का विकास हो। इसके लिए आवश्यक सुधारों के तहत यह विधेयक तैयार किया गया है। मंत्री ने बताया कि राज्य में खनिज संपदा का लाभ उठाकर उद्योगों के विकास में उनका योगदान सुनिश्चित करना सरकार का उद्देश्य है।
विपक्ष का आरोप: किसानों का हक छीनने की कोशिश
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम गरीब और हाशिए के किसानों की जमीन को उद्योगपतियों के हाथों में देने का प्रयास है। जूली ने कहा कि पहले भी रीको ने इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में मामूली कीमत पर कंपनियों को जमीन दी थी, जो अब अत्यधिक मूल्यवान हो गई है। कंपनियां अब उन जमीनों पर कारखाने बनाने के बजाय मॉल, फ्लैट और दुकानें बनाने का काम कर रही हैं और करोड़ों रुपये कमा रही हैं।
संशोधन की गुंजाइश: मंत्री खर्रा का बयान
मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने विपक्ष की चिंताओं को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि विधेयक को लाने से पहले सभी स्तरों पर विचार-विमर्श किया गया है। अगर भविष्य में कोई ऐसा प्रावधान सामने आता है जो किसानों के अधिकारों का हनन करता हो, तो उसमें आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि संशोधन की प्रक्रिया को लगातार जारी रखा जाएगा ताकि किसानों और आम जनता के हित सुरक्षित रहें।