latest-newsजयपुरराजनीतिराजस्थान

राजस्थान में नए जिलों पर सियासत : 6-7 जिलों का हो सकता है समापन

राजस्थान में नए जिलों पर सियासत : 6-7 जिलों का हो सकता है समापन

शोभना शर्मा।  राजस्थान की सियासत में नए जिलों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। गहलोत सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में बनाए गए 17 नए जिलों को लेकर अब विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी खींचतान जारी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने हाल ही में बयान दिया है कि राज्य में 6-7 नए जिलों को समाप्त किया जा सकता है। इस बयान के बाद राज्य में जिलों के पुनर्गठन को लेकर राजनीतिक बहस और तेज हो गई है।

भाजपा का बड़ा बयान: 6-7 जिले होंगे समाप्त

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले कार्यकाल में गहलोत सरकार ने केवल अपने समर्थक विधायकों को खुश करने के लिए नए जिलों का गठन किया। उन्होंने यह दावा किया कि कई जिलों का गठन बिना उचित योजना और समीक्षा के किया गया था, जिसके कारण राज्य में प्रशासनिक समस्याएँ पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे 6-7 जिले हैं जिन्हें समाप्त किया जा सकता है क्योंकि उनका गठन अनावश्यक था।” राठौड़ ने केकड़ी, दूदू और सांचौर जैसे जिलों का नाम लेकर सवाल उठाया कि क्या इन्हें जिले बनाना उचित था?

राठौड़ का यह बयान राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दे चुका है। उनके अनुसार, गहलोत सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए जिलों का ताबड़तोड़ गठन किया, जो अब राज्य के लिए बोझ बन चुका है। भाजपा का मानना है कि प्रशासनिक आधार पर राज्य में जिलों का पुनर्गठन होना चाहिए, और ऐसे जिले जिन्हें उचित जनसंख्या या भौगोलिक आधार नहीं मिला है, उन्हें समाप्त करना चाहिए।

नए जिलों को लेकर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

दूसरी ओर, कांग्रेस ने भाजपा के इस बयान को तात्कालिक राजनीति से प्रेरित बताया है। पार्टी के अनुसार, नए जिलों का गठन राज्य की प्रशासनिक और विकासशील जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया था। कांग्रेस का कहना है कि इन जिलों के गठन से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और लोगों को सरकारी सेवाएँ सुचारू रूप से मिलेंगी।

हाई पावर कमेटी और रिव्यू सब कमेटी की बैठक

राजस्थान सरकार ने नए जिलों के मुद्दे पर पुनर्विचार करने के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित की थी। 2 सितंबर को इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में रिव्यू सब कमेटी की बैठक आयोजित की गई। हालांकि, इस बैठक में कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका। यह बैठक अगले 10 दिनों में फिर से आयोजित की जाएगी, जिसमें नए जिलों को लेकर विस्तृत चर्चा और संभावित फेरबदल पर विचार होगा।

अशोक कोठारी की सदस्यता पर विवाद

राजस्थान की सियासत में एक और बड़ा मुद्दा अशोक कोठारी की भाजपा सदस्यता से जुड़ा हुआ है। भीलवाड़ा के निर्दलीय विधायक अशोक कोठारी ने हाल ही में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोठारी ने पार्टी की नीतियों और राष्ट्रीय भावना से प्रेरित होकर सदस्यता ली है, लेकिन उन्हें सदस्यता देना या नहीं देना पार्टी का आंतरिक मामला है। इस मुद्दे पर भी सियासी गलियारों में चर्चाएँ हो रही हैं, खासकर कांग्रेस के पक्ष में, जो इसे भाजपा की कमजोरी के रूप में देख रही है।

गहलोत सरकार का रुख

गहलोत सरकार इस मुद्दे पर अपने रुख पर कायम है। मुख्यमंत्री भजनलाल ने नए जिलों की प्रशासनिक सीमाओं को खोलने और पुनः समीक्षा करने की आवश्यकता जताई है। इस संदर्भ में, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य की प्रशासनिक सीमाओं को फिर से निर्धारित करने की माँग की है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि सरकार नए जिलों को लेकर जल्द ही कोई बड़ा निर्णय लेने की तैयारी कर रही है।

राजस्थान में नए जिलों का मुद्दा आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बहस का केंद्र बन चुका है। भाजपा ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नए जिलों का गठन केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था, जबकि कांग्रेस ने इसे राज्य के विकास का हिस्सा बताया है। अब सभी की नजरें हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट और सरकार के आगामी निर्णय पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि राज्य में कितने नए जिले बने रहेंगे और कितने समाप्त होंगे।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading