मनीषा शर्मा, अजमेर। हाल ही मे अजमेर रेल्वे स्टेशन पर 11 साल की मासूम के साथ हुए दुष्कर्म ने पूरे प्रदेश मे अजमेर का नाम शर्मिंदा कर दिया है। आरोपी के खिलाफ पॉकसो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आज आपको को बताते हैं की पॉकसो ऐक्ट आखिर है क्या?
भारत में यौन उत्पीड़न की घटनाओं से बच्चों को बचाने के लिए पोक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) 2012 में लागू किया गया था। यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के और लड़कियों दोनों पर लागू होता है। पोक्सो एक्ट के तहत, यौन अपराधों के दोषियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
इस कानून में पोर्नोग्राफी के लिए बच्चे का इस्तेमाल करने पर दोषी को 5 साल की सजा और जुर्माना देना पड़ सकता है। यदि दोषी दूसरी बार पकड़ा जाता है, तो उसे 7 साल की सजा और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। किसी बच्चे की अश्लील तस्वीर को इकट्ठा करना या शेयर करने पर भी सजा का प्रावधान है, जिसमें दोषी को तीन साल की जेल या जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। 16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का दोषी पाए जाने पर 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। अगर नाबालिग की मौत हो जाती है, तो दोषी को मौत की सजा भी दी जा सकती है।
पोक्सो एक्ट के तहत दोषी कोई भी हो सकता है – पुरुष या महिला। इस कानून में यौन अपराधों के कृत्य के लिए महिलाओं को भी उतनी ही सजा दी जाती है जितनी पुरुषों को। पीड़ित भी कोई बच्चा या बच्ची हो सकता है। यह कानून बच्चों को यौन उत्पीड़न से सुरक्षित रखने और अपराधियों को कठोर सजा देने के उद्देश्य से बनाया गया है, जिससे समाज में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।