मनीषा शर्मा। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने पारंपरिक संबोधन में देशवासियों के लिए दो बड़े तोहफों का ऐलान किया। पहला — ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ की शुरुआत, जो देश के युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी। दूसरा — दिवाली से पहले लागू होने वाले अगले चरण के GST रिफॉर्म्स, जो आम जनता के लिए टैक्स का बोझ कम करेंगे और रोजमर्रा की चीजें सस्ती बनाएंगे।
1 लाख करोड़ की रोजगार योजना का ऐलान
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा, “आज मैं देश के युवाओं के लिए खुशखबरी लेकर आया हूं। हम 15 अगस्त के दिन 1 लाख करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना शुरू कर रहे हैं। इससे साढ़े 3 करोड़ नौजवानों को रोजगार मिलेगा।”
यह योजना विशेष रूप से युवाओं के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि स्किल डेवलपमेंट, स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन और इंडस्ट्री सेक्टर में रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया जा सके। सरकार का मानना है कि इस योजना के जरिए न केवल प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, बल्कि अप्रत्यक्ष तौर पर भी लाखों लोगों को आय के साधन प्राप्त होंगे।
दिवाली तक लागू होंगे GST रिफॉर्म्स
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि GST को लागू हुए 8 साल पूरे हो गए हैं और अब समय आ गया है कि इसमें नए सुधार लाए जाएं। उन्होंने कहा कि दिवाली तक नेक्स्ट जनरेशन GST रिफॉर्म्स लागू किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य टैक्सेशन को सरल बनाना और आम लोगों का बोझ कम करना है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार 12% GST स्लैब को पूरी तरह समाप्त करने पर विचार कर रही है और इस स्लैब के तहत आने वाले आइटम्स को 5% टैक्स स्लैब में ला सकती है। इसका सीधा फायदा आम आदमी को मिलेगा क्योंकि टूथपेस्ट, बर्तन, कपड़े, जूते जैसी रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंगी।
GST स्लैब घटाकर दो करने की तैयारी
वर्तमान में GST के चार मुख्य स्लैब हैं — 5%, 12%, 18% और 28%। केंद्र सरकार चाहती है कि इन्हें घटाकर केवल दो स्लैब किया जाए — एक रियायती (मेरिट) स्लैब और एक सामान्य (स्टैंडर्ड) स्लैब। इससे टैक्स स्ट्रक्चर सरल होगा और उपभोक्ताओं के साथ-साथ बिजनेस करने वालों के लिए भी व्यवस्था आसान होगी।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, इन सुधारों को GST काउंसिल द्वारा गठित मंत्रियों के समूह (GoM) को भेजा गया है। काउंसिल की अगली बैठक में इन सिफारिशों पर चर्चा होगी और कोशिश होगी कि इन्हें चालू वित्त वर्ष में ही लागू किया जाए।
GST सुधार के तीन मुख्य आधार
सरकार के प्रस्तावित GST सुधार तीन प्रमुख आधारों पर केंद्रित हैं:
ढांचागत सुधार (Structural Reforms) — इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सही करना, यानी कच्चे माल और तैयार माल के टैक्स में संतुलन लाना ताकि इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का अनावश्यक जमा न हो। इससे ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
टैक्स रेट का सरलीकरण (Rate Simplification) — रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम करना, 12% स्लैब खत्म कर 5% में लाना, और स्लैब की संख्या घटाकर केवल दो करना।
जीवन को आसान बनाना (Ease of Compliance) — छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए तकनीक आधारित, तेज और सरल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया; पहले से भरे हुए रिटर्न; और तेज, स्वचालित रिफंड सिस्टम।
GST कलेक्शन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
GST के 8 साल पूरे होने पर सरकार ने बताया कि टैक्स कलेक्शन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपए रहा, जो 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ था। यानी, 5 साल में कलेक्शन लगभग दोगुना हो गया है।
मासिक औसत कलेक्शन 2024-25 में 1.84 लाख करोड़ रुपए रहा, जो 5 साल पहले सिर्फ 95 हजार करोड़ था। टैक्सपेयर्स की संख्या भी 2017 में 65 लाख से बढ़कर 1.51 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।
GST का इतिहास और महत्व
GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के 17 अलग-अलग कर और 13 उपकर समाप्त कर दिए गए। GST चार हिस्सों में विभाजित है —
CGST: केंद्र द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स
SGST: राज्य द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स
IGST: राज्यों के बीच या आयात पर लगने वाला टैक्स
सेस: विशेष उद्देश्यों के लिए लगाया जाने वाला अतिरिक्त शुल्क
GST को इकोनॉमी की सेहत का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। बढ़ा हुआ कलेक्शन यह दिखाता है कि उपभोक्ता खर्च और औद्योगिक गतिविधि मजबूत है, साथ ही टैक्स अनुपालन भी बेहतर हुआ है।
दिवाली से पहले बड़ा आर्थिक तोहफा
पीएम मोदी के इन ऐलानों को एक तरफ युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर के रूप में देखा जा रहा है, तो दूसरी तरफ टैक्स घटने से आम जनता को महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है। अगर 12% स्लैब वाले आइटम 5% में आ जाते हैं, तो त्योहारों के मौसम में बाजार की रौनक और बढ़ सकती है।
सरकार की कोशिश है कि ये दोनों बड़े फैसले — रोजगार योजना और GST रिफॉर्म्स — न केवल आर्थिक गतिविधियों को गति दें, बल्कि निवेशकों और उद्योगों के लिए भी एक स्थिर और अनुकूल माहौल तैयार करें।


