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त्रिपुरा सुंदरी देवी के दरबार में तीसरी बार जाएंगे PM मोदी

त्रिपुरा सुंदरी देवी के दरबार में तीसरी बार जाएंगे PM मोदी

मनीषा शर्मा। राजस्थान का बांसवाड़ा जिला धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित 900 साल पुराना त्रिपुरा सुंदरी मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि राजनीति और सत्ता से जुड़ा एक अहम स्थल भी माना जाता है। इसी मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर दर्शन करने जा रहे हैं। यह उनका इस मंदिर का तीसरा दौरा होगा। इससे पहले वे गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए दो बार यहां आ चुके हैं।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर की महत्ता सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि राजनीति के संदर्भ में भी बेहद खास है। इसे राज-काज और मोक्ष की अधिष्ठात्री देवी का मंदिर कहा जाता है। यही कारण है कि यहां आम भक्तों से लेकर बड़े-बड़े नेता भी सफलता और आशीर्वाद के लिए दर्शन करने आते हैं।

सिद्ध शक्तिपीठ और 65 योगिनियों का प्रतीक

मंदिर के पुजारी निकुंज मोहन पांड्या बताते हैं कि यह स्थल एक सिद्ध शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां देवी की उपासना करने से मोक्ष और सफलता दोनों की प्राप्ति होती है। मंदिर को 65 योगिनियों का प्रतीक माना जाता है। यहां विराजमान देवी की 18 भुजाएं हैं और इन्हें “षोडश” रूप में पूजा जाता है।

त्रिपुरा नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी—तीनों शक्तियों का दर्शन एक साथ होता है।

52 शक्तिपीठों में से एक

स्थानीय परंपराओं के अनुसार, यह मंदिर भारत के 52 शक्तिपीठों में शामिल है। कथा के अनुसार, यहां देवी सती का पीठासन गिरा था। मंदिर की सबसे खास विशेषता यहां की काले पत्थर से बनी मूर्ति है। यही किस्म का पत्थर अयोध्या में श्रीराम लला की प्रतिमा बनाने में भी प्रयोग हुआ है।

मंदिर की हर शिला का प्राण-प्रतिष्ठा कर स्थापना की गई है। भक्त मानते हैं कि मंदिर का हर कोना पुण्य और शक्ति से भरपूर है।

गुजरात के सोलंकी राजाओं की इष्ट देवी

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष दुलजीभाई पांचाल का कहना है कि त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का इतिहास बेहद प्राचीन है। यह गुजरात के सोलंकी राजाओं की इष्ट देवी रही है। यही वजह है कि आज भी गुजरात और राजस्थान के नेताओं के लिए यह मंदिर आस्था और शक्ति का केंद्र बना हुआ है।

राजनेताओं का ‘भाग्य-विधाता’ मंदिर

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को राजनीतिक दृष्टि से भी खास माना जाता है। इसे राजनेताओं का ‘भाग्य-विधाता’ कहा जाता है। यहां आकर नेताओं ने चुनावी जीत की कामना की है। मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री नटवरलाल पांचाल बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी और वसुंधरा राजे ने यहां से आशीर्वाद लेकर जीत हासिल की थी।

नेता पर्चा दाखिल करने से पहले, मतदान के बाद और यहां तक कि चुनाव परिणाम से पहले भी इस मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं।

नरेंद्र मोदी का खास संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस मंदिर से गहरा संबंध रहा है। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब दो बार यहां आकर मां त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन किए। यही नहीं, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी हर चुनाव से पहले यहां आशीर्वाद लेने आती रही हैं।

मंदिर के मैनेजर जागेश पांचाल बताते हैं कि यहां पार्षद से लेकर मुख्यमंत्री तक विशेष अनुष्ठान और यज्ञ करवाते रहे हैं। इतना ही नहीं, भारत के मुख्य न्यायाधीश भी यहां से आशीर्वाद लेकर गए हैं।

श्री यंत्र और तंत्र-मंत्र का संगम

मंदिर की सबसे अद्भुत बात यह है कि यहां त्रिपुरा माता की मूर्ति श्री यंत्र पर विराजमान है। श्री यंत्र को देवी की शक्ति का प्रबल प्रतीक माना जाता है। इस कारण मंदिर में तंत्र, मंत्र और यंत्र की शक्ति का संगम है।

मान्यता है कि यहां की पूजा से अपार ऊर्जा मिलती है। यही कारण है कि यह मंदिर केवल धार्मिक नहीं, बल्कि तांत्रिक और आध्यात्मिक साधना का भी प्रमुख केंद्र है।

लोकेशन और वातावरण

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर राजस्थान और गुजरात की सीमा पर, लोहे की खदानों के किनारे स्थित है। यहां देशभर से भक्त आते हैं। मंदिर के दरबार में हर वर्ग के लोग अपनी इच्छाओं और सफलता की कामना लेकर पहुंचते हैं।

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