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राजस्थान के जंगलों में प्लास्टिक बैन: पर्यटकों को जुर्माना भरना होगा

राजस्थान के जंगलों में प्लास्टिक बैन: पर्यटकों को जुर्माना भरना होगा

शोभना शर्मा । राजस्थान सरकार ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और सभी जंगलों में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इस नए नियम के तहत, पर्यटक और वनकर्मी जंगल में प्लास्टिक की पानी की बोतलें और कैरी बैग नहीं ले जा सकेंगे। अब जंगलों में केवल कांच या स्टील की बोतलें और कपड़े या जूट के बने बैग ही ले जाने की अनुमति होगी।

यह प्रतिबंध वन्यजीव अभयारण्यों, सभी टाइगर रिजर्व, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान सहित सभी जंगलों में प्लास्टिक की थैलियों, पाउच, प्लास्टिक की पानी की बोतलों, पानी के कैन या प्लास्टिक की किसी अन्य पैकेजिंग सामग्री पर लागू होता है।

यदि कोई पर्यटक प्रतिबंध का उल्लंघन करता है और प्लास्टिक की पानी की बोतल, कैरी बैग या अन्य प्रतिबंधित सामान जंगल में ले जाता है, तो उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत ₹5 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा।

वर्तमान में, वनकर्मी जंगलों के मुख्य द्वारों पर पर्यटकों को समझा रहे हैं। प्रत्येक जंगल के मुख्य द्वार पर प्रवेश करने से पहले पर्यटकों के सामान की जांच की जाएगी।

नए नियमों के लागू होने के बाद, भरतपुर स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन ने आसपास के 20 गांवों की महिलाओं को कपड़े और जूट के थैले बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इससे उन्हें रोजगार मिलेगा और वन्यजीवों की सुरक्षा भी होगी।

रणथंभौर में पर्यटक:

अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक, रणथंभौर टाइगर रिजर्व ने ₹60 करोड़ 35 लाख 75 हजार 380 का राजस्व प्राप्त किया है। इस दौरान, 6 लाख 54 हजार 766 पर्यटकों ने रणथंभौर का दौरा किया, जिसमें 56 हजार 920 विदेशी पर्यटक शामिल थे।

यह कदम राजस्थान के वनस्पतियों और जीवों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। प्लास्टिक प्रदूषण वन्यजीवों के लिए एक बड़ा खतरा है, और यह प्रतिबंध इसे कम करने में मदद करेगा।

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