मनीषा शर्मा। कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपने टोंक दौरे के दौरान केंद्र सरकार और बीजेपी पर तीखे शब्दों में हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस जातिगत जनगणना की मांग करती थी, तब भारतीय जनता पार्टी इसे गलत ठहराते हुए कांग्रेस नेताओं को “अरबन नक्सली” तक कहती थी। लेकिन अब वही बीजेपी जातिगत जनगणना करवा रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस की बात देर से ही सही, स्वीकार की जा रही है।
पायलट ने कहा कि देश और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जातिगत जनगणना जैसे संवेदनशील विषय पर पहले ही निर्णय लिया जाना चाहिए था, जिससे सामाजिक न्याय की दिशा में सटीक कदम उठाए जा सकते थे। उन्होंने यह भी कहा कि आठ साल बाद GST में सुधार होना इस बात का संकेत है कि कई निर्णय जल्दबाजी में लिए गए थे और बाद में उन्हें बदलना पड़ा।
SIR प्रक्रिया और BLO पर बढ़ते दबाव पर चिंता
सचिन पायलट ने SIR (Special Summary Revision) प्रक्रिया के दौरान BLO (Booth Level Officer) पर बढ़ते काम के दबाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सात राज्यों में SIR का काम चल रहा है और कई जगहों से BLO की मौत या आत्महत्या की सूचनाएँ सामने आ रही हैं। परिजनों द्वारा भी चुनाव आयोग पर काम का अत्यधिक दबाव डालने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
पायलट ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसा क्या दबाव है कि BLO जैसे ज़मीनी स्तर के कर्मचारी अपनी जान तक गंवा रहे हैं? उन्होंने इन घटनाओं की न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि SIR का समय बढ़ाने का निर्णय बहुत पहले लिया जाना चाहिए था। अब जब आयोग ने 7 दिनों की अतिरिक्त मोहलत दी है, तो इससे थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन असल समस्या को समझने की जरूरत है।
निर्वाचन आयोग को राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए
पायलट ने निर्वाचन आयोग को सलाह देते हुए कहा कि आयोग का मूल कर्तव्य है कि देश का एक भी नागरिक मतदान के अधिकार से वंचित न रह जाए। उन्होंने कहा कि यदि चुनावी काम में पक्षपात होता है तो यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने आग्रह किया कि आयोग को सरकार, दलगत राजनीति और किसी भी तरह के प्रभाव से परे रहकर पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य करना चाहिए। प्रत्येक अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर योग्य नागरिक का नाम मतदाता सूची में शामिल हो।
केंद्र सरकार की नीतियों पर भी साधा हमला
नोटबंदी और GST जैसे मुद्दों पर बोलते हुए पायलट ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बार-बार निर्णय बदलना और बाद में GST लागू करके फिर वर्षों बाद उसमें संशोधन करना यह दर्शाता है कि सरकार बिना तैयारी और दूरदर्शिता के फैसले ले रही थी।
उन्होंने कहा कि ऐसे फैसलों का सीधा असर आम जनता, छोटे व्यापारियों और कर्मचारियों पर पड़ा है, इसलिए आवश्यक है कि सरकार किसी भी नीति को लागू करने से पहले व्यापक चर्चा करे और उसके प्रभावों का मूल्यांकन करे।


