शोभना शर्मा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में तेजी से उभरता नाम Perplexity AI अब वैश्विक स्तर पर अपने पंख फैला रहा है। भारतीय मूल के अरविंद श्रीनिवास द्वारा स्थापित यह एआई स्टार्टअप अब सीधे तौर पर गूगल और ओपनएआई जैसे दिग्गजों को टक्कर देने की ओर बढ़ रहा है। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Perplexity ने मोटोरोला के साथ एक रणनीतिक समझौता कर लिया है, जिसके तहत कंपनी का वर्चुअल असिस्टेंट मोटोरोला स्मार्टफोन्स में इंटीग्रेट किया जाएगा।
मोटोरोला के अपकमिंग फोल्डेबल स्मार्टफोन ‘रेजर’ में Perplexity AI की उपस्थिति इसकी पुष्टि करती है। यह फीचर मोटोरोला यूजर्स को Perplexity के इंटेलिजेंट असिस्टेंट का अनुभव देगा, जो गूगल के जेमिनी AI और चैटजीपीटी के फीचर्स का विकल्प बन सकता है। इस डील की आधिकारिक घोषणा 24 अप्रैल को होने की संभावना है।
स्मार्टफोन इंटीग्रेशन क्यों है जरूरी?
वर्तमान समय में एआई टूल्स का सबसे अधिक इस्तेमाल स्मार्टफोन्स में देखा जा रहा है। गूगल एंड्रॉयड डिवाइसेज में अपने Gemini AI को इंटीग्रेट कर रहा है, वहीं ओपनएआई का ChatGPT पहले से ही स्मार्टफोन यूजर्स के बीच पॉपुलर हो चुका है। ऐसे में यदि Perplexity भी अपने वर्चुअल असिस्टेंट को स्मार्टफोन्स में जगह दिला देता है, तो यह सीधे गूगल और ओपनएआई के यूजर बेस में सेंध लगा सकता है।
सैमसंग से भी बातचीत जारी
Perplexity AI की नजर मोटोरोला तक ही सीमित नहीं है। कंपनी अब सैमसंग से भी बातचीत कर रही है ताकि उसका वर्चुअल असिस्टेंट सैमसंग के स्मार्टफोन्स में भी इंटीग्रेट किया जा सके। अगर यह डील सफल होती है, तो Perplexity को वैश्विक यूजरबेस तक सीधी पहुंच मिल सकती है। हालांकि, सैमसंग पहले से ही Google Gemini और खुद के Bixby असिस्टेंट का उपयोग करता है, जिससे यह सौदा थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
Perplexity का मकसद और रणनीति
Perplexity एक एआई-बेस्ड सर्च इंजन है, जिसका उद्देश्य यूजर्स को सटीक और त्वरित जानकारी देना है। कंपनी का मानना है कि मोबाइल यूजर्स को जितना जल्दी और प्रभावी जवाब मिलेगा, वे उतना ही इस टूल के अभ्यस्त बनेंगे। यही कारण है कि स्मार्टफोन इंटीग्रेशन उनकी प्राथमिक रणनीति का हिस्सा है।
अरविंद श्रीनिवास: भारतीय प्रतिभा जो अमेरिका में छाई
Perplexity AI के फाउंडर और CEO अरविंद श्रीनिवास का जन्म 1994 में चेन्नई, भारत में हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई IIT-मद्रास से की और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से पीएचडी की। खास बात यह है कि अरविंद ने अपने करियर की शुरुआत OpenAI से की थी और इसके बाद Google और DeepMind जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में काम किया। आखिरकार उन्होंने Perplexity AI की नींव रखी, जो आज गूगल जैसी कंपनी से मुकाबले की स्थिति में आ चुकी है।
टिकटॉक डील में भी दिखाया इंटरेस्ट
Perplexity केवल सर्च इंजन तक ही सीमित नहीं रहना चाहता। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी अमेरिका में टिकटॉक के बिजनेस को खरीदने में भी दिलचस्पी दिखा चुकी है। हालांकि अमेरिका-चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध के चलते यह डील अभी ठंडे बस्ते में है।
Perplexity बनाम ChatGPT और Google
जहां चैटजीपीटी अपनी संवाद क्षमताओं से प्रसिद्ध है और गूगल जेमिनी व्यापक एआई समाधानों के लिए उपयोगी है, वहीं Perplexity AI अपनी रीयल-टाइम सर्च क्षमताओं और संक्षिप्त, स्पष्ट उत्तरों के कारण अलग पहचान बना रहा है। यदि यह स्मार्टफोन्स के ज़रिए करोड़ों यूजर्स तक पहुंचने में सफल होता है, तो यह कंपनियों के एआई बाजार में संतुलन को बदल सकता है।