मनीषा शर्मा । भारत में गुरुवार, 7 अगस्त 2025 की रात करीब 8:30 बजे, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सर्विस अचानक टेक्निकल इश्यू के चलते डाउन हो गई। UPI सर्विस डाउन होने की वजह से Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे प्रमुख डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म्स पर लाखों उपयोगकर्ताओं को पेमेंट करने में असफलता का सामना करना पड़ा। यह आउटेज लगभग 45 मिनट तक चला और इसने पूरे देश के डिजिटल लेन-देन सिस्टम को प्रभावित किया। इस गड़बड़ी ने न केवल व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को परेशानी में डाला, बल्कि छोटे व्यापारियों और ऑनलाइन खरीददारी प्लेटफॉर्म्स पर भी इसका सीधा असर पड़ा। UPI के माध्यम से भुगतान करने की आदत बन चुके भारतीयों के लिए यह एक गंभीर रुकावट थी।
डाउन डिटेक्टर पर दर्ज हुईं हजारों शिकायतें
वेबसाइट और ऐप्स की वास्तविक समय की स्थिति बताने वाले प्लेटफॉर्म डाउन डिटेक्टर (DownDetector) के अनुसार, रात 8:30 बजे के बाद से ही UPI सर्विस से जुड़ी समस्याओं की शिकायतों में अचानक तेजी आई।
केवल 1 घंटे में 2,147 से अधिक यूजर्स ने पेमेंट फेलियर की शिकायत की।
62% उपयोगकर्ता पेमेंट पूरा नहीं कर पाए।
30% लोगों को फंड ट्रांसफर करने में समस्या आई।
यूजर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इस समस्या को लेकर नाराजगी व्यक्त की। ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर UPI डाउन ट्रेंड करने लगा।
NPCI करता है UPI का संचालन
भारत में UPI सिस्टम को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ऑपरेट करता है। वहीं, RTGS और NEFT जैसे पेमेंट सिस्टम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियंत्रण में आते हैं। NPCI की ओर से अब तक इस आउटेज को लेकर आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन टेक्निकल टीम के स्तर पर सर्वर और ट्रांजैक्शन प्रॉसेसिंग सिस्टम की जांच की जा रही है। भारत सरकार ने 1 जनवरी 2020 से सभी UPI ट्रांजैक्शन के लिए जीरो-चार्ज फ्रेमवर्क लागू किया था, जिससे डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन मिला और करोड़ों लोग रोजाना इसका उपयोग करने लगे।
UPI कैसे करता है काम?
UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, एक ऐसा डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है जो उपयोगकर्ताओं को मोबाइल के जरिए 24×7 रियल-टाइम मनी ट्रांसफर की सुविधा देता है। यह सिस्टम इतनी तेजी से लोकप्रिय हुआ कि आज लगभग हर स्मार्टफोन उपयोगकर्ता इसके किसी न किसी ऐप का इस्तेमाल करता है।
UPI के काम करने की प्रक्रिया:
वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA): उपयोगकर्ता को सबसे पहले VPA बनाना होता है, जो बैंक खाते से लिंक होता है।
बैंक खाता लिंकिंग: एक बार जब VPA बन जाता है, तो उपयोगकर्ता को बैंक खाता, मोबाइल नंबर और OTP के जरिए लिंक करना होता है।
सेक्योर ऑथेंटिकेशन: हर ट्रांजैक्शन के लिए 4 या 6 अंकों का UPI पिन अनिवार्य होता है।
मोबाइल नंबर या UPI ID से पेमेंट: प्राप्तकर्ता का मोबाइल नंबर, आधार या ईमेल के जरिए भी भुगतान किया जा सकता है।
UPI डाउन होने का प्रभाव
भारत में हर दिन 40 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन UPI के जरिए होते हैं। ऐसे में सिर्फ 30-45 मिनट का आउटेज भी बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर सकता है।
प्रभावित क्षेत्र:
रेस्टोरेंट और कैफे: जहां ग्राहक अंतिम समय में कैश न होने पर पेमेंट नहीं कर पाए।
ऑनलाइन खरीदारी: UPI भुगतान फेल होने से ऑर्डर नहीं हो पाए।
डिलीवरी और ट्रांसपोर्टेशन: बाइक टैक्सी, फूड डिलीवरी जैसी सेवाएं प्रभावित हुईं।
बिजनेस पेमेंट: छोटे व्यापारियों को तत्काल पेमेंट नहीं मिल सका।
यूजर्स ने क्या कहा?
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने नाराजगी और आश्चर्य व्यक्त किया कि देश के सबसे बड़े डिजिटल ट्रांजैक्शन नेटवर्क में इस तरह की तकनीकी खराबी कैसे हो सकती है।कुछ यूजर्स ने लिखा:
“Google Pay से पेमेंट फेल हो रहा है, बार-बार ट्रांजैक्शन रिजेक्ट हो रही है।”
“PhonePe से शॉपिंग मॉल में पेमेंट नहीं हो पाया, लाइन में खड़ा होना पड़ा।”
“Paytm से बिल पे नहीं हो रहा, सर्वर डाउन बता रहा है।”
NPCI और बैंकों को क्या करना चाहिए?
इस तरह की बड़ी तकनीकी खामी से निपटने के लिए NPCI को अपने सर्वर इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करना होगा। साथ ही, बैंकों को भी बैकअप सर्वर और बेहतर अलर्ट सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाएं दोहराई न जाएं। वहीं, ग्राहकों को भी यह सलाह दी जाती है कि वे हमेशा वैकल्पिक पेमेंट विकल्प जैसे कार्ड, कैश या नेट बैंकिंग को तैयार रखें ताकि किसी एक माध्यम के फेल होने पर अन्य विकल्पों का सहारा लिया जा सके।