मनीषा शर्मा। राजस्थान में बच्चों के पोषण से जुड़ी सरकारी योजना ‘पन्नाधाय बाल गोपाल योजना’ में बड़ा घोटाला सामने आया है। इस योजना के तहत विद्यालयों में विद्यार्थियों को मिलने वाले दूध पाउडर को कुछ शिक्षकों ने मावा फैक्ट्रियों को बेच दिया, जिससे बच्चों के हिस्से का पोषण सामग्री बाजार में पहुंच गई। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल सख्त कार्रवाई की है और इसमें शामिल पांच शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।
शिक्षा सचिव ने लिया संज्ञान, तीन सदस्यीय समिति गठित
इस गंभीर प्रकरण पर शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने तुरंत संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश जारी किए। उन्होंने कहा कि बच्चों के पोषण से जुड़ी किसी भी योजना में गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले की गहराई से जांच के लिए विभाग ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसे चार दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रारंभिक जांच में दूध पाउडर की हेराफेरी और निजी मावा फैक्ट्रियों को बेचने के सबूत मिलने के बाद पांच शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।
निलंबित शिक्षकों के नाम और पदनाम
प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए शिक्षकों के नाम इस प्रकार हैं—
शीला बलाई, शिक्षक स्तर-1
सुरेश कुमार, प्रबोधक
मंगलाराम, वरिष्ठ अध्यापक
पप्पाराम गोदारा, व्याख्याता (राजनीति विज्ञान)
राजेश मीणा, प्रधानाचार्य
इन सभी का मुख्यालय अब बीकानेर में निर्धारित किया गया है। शिक्षा विभाग ने इन्हें जांच पूर्ण होने तक वहां उपस्थित रहने और सहयोग करने के निर्देश दिए हैं।
तीन दिनों में जिला शिक्षा अधिकारियों को रिपोर्ट देने के निर्देश
शिक्षा सचिव ने इस मामले पर सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) और खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उनसे कहा गया है कि वे तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें और प्रत्येक विद्यालय में जाकर भौतिक सत्यापन (Physical Verification) करें।
सत्यापन के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पन्नाधाय बाल गोपाल योजना के तहत जो दूध पाउडर, पोषण सामग्री या अन्य सामग्री स्कूलों को दी जाती है, वह वास्तव में बच्चों तक पहुंच रही है या नहीं।
57 लाख स्कूली बच्चों को मिलता है गर्म दूध
राजस्थान सरकार की पन्नाधाय बाल गोपाल योजना राज्य की सबसे बड़ी पोषण योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत राज्य के करीब 57 लाख स्कूली बच्चों को नियमित रूप से गर्म दूध उपलब्ध कराया जाता है।
इस योजना का उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को पोषण की दृष्टि से मजबूत बनाना और उनके स्वास्थ्य स्तर में सुधार करना है। इसके लिए सरकार प्रत्येक विद्यालय को दूध पाउडर और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराती है।
सरकार का सख्त रुख: पोषण सामग्री की हेराफेरी बर्दाश्त नहीं
राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों के पोषण से जुड़ी किसी भी सामग्री के दुरुपयोग या घोटाले पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि यह घटना पूरे तंत्र की जवाबदेही तय करने के लिए एक चेतावनी है।
उन्होंने कहा, “अगर किसी ने बच्चों के हिस्से का दूध या पोषण सामग्री बेचने की कोशिश की है, तो यह न केवल कर्तव्य की अवहेलना है, बल्कि नैतिक अपराध भी है। ऐसी घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
जांच रिपोर्ट के बाद और होगी कार्रवाई
शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने कहा कि जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ आपराधिक मामला दर्ज करने पर भी विचार किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने सभी जिलों में योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।


