शोभना शर्मा। हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान अजमेर दरगाह के दीवान सैयद नसरुद्दीन चिश्ती के बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। चिश्ती ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक बहुत अच्छा विधेयक है, जिसका लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। वहीं, इस पर असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसा है, जो इस विधेयक के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक का महत्व
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को हाल ही में लोकसभा में पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना और मुस्लिम समुदाय के गरीब वर्ग को लाभ पहुंचाना है। सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इस विधेयक के समर्थन में कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समाज के लिए एक सकारात्मक कदम है और इससे वक्फ का पैसा आम और गरीब मुसलमानों तक पहुंचेगा।
ओवैसी का तंज
असदुद्दीन ओवैसी ने चिश्ती के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह का दीवान ख्वाजा एक्ट के तहत एक सरकारी कर्मचारी है और उसे हर साल 1.5 करोड़ रुपये मिलते हैं। ओवैसी ने सवाल उठाया कि इस दीवान ने मुस्लिम महिलाओं, बेवा महिलाओं और यतीम बच्चों के लिए क्या किया है। उनका यह तंज इस बात को दर्शाता है कि वे चिश्ती के समर्थन को लेकर संदेह में हैं और इसे राजनीतिक लाभ के रूप में देख रहे हैं।
चिश्ती का समर्थन
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ईद पर की गई पहल की भी प्रशंसा की थी, जिसके बाद उनकी चर्चा बढ़ गई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सभी को है, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि विपक्ष की मुख्य आपत्तियों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। चिश्ती ने यह भी कहा कि कई भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं कि इस विधेयक के पास होने के बाद मुस्लिम संपत्तियों को नुकसान होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा।
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
वक्फ संशोधन विधेयक पर मुस्लिम समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे सकारात्मक मानते हैं, जबकि अन्य इसे संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। ओवैसी जैसे नेता इस विधेयक के खिलाफ हैं, जबकि चिश्ती जैसे लोग इसे मुस्लिम समुदाय के लिए लाभकारी मानते हैं।