शोभना शर्मा। जैसलमेर स्थित भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा इंतजामों को और मजबूत करते हुए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने आज से ‘ऑपरेशन अलर्ट’ की शुरुआत कर दी है। यह विशेष अभियान 11 अगस्त से 17 अगस्त तक लगातार चलेगा, जिसके दौरान सरहद पर चौकसी का स्तर सामान्य से कहीं अधिक रहेगा। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह की घुसपैठ, तस्करी या सीमा पार से होने वाली गतिविधियों को नाकाम करना है।
BSF के अधिकारियों और जवानों की तैनाती इस अवधि में और ज्यादा मजबूत कर दी गई है। जहां सामान्य दिनों में जवान अपनी तय पोस्टों पर रहते हैं, वहीं अब स्वतंत्रता दिवस को देखते हुए सीमा पर हर बिंदु पर सख्त निगरानी की जा रही है। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी भी खुद सरहद पर तैनात रहेंगे, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
खुफिया एजेंसियों से रीयल टाइम समन्वय
इस ऑपरेशन के दौरान बीएसएफ भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ निरंतर संपर्क में है। एजेंसियों से आने वाले हर इनपुट पर फौरन प्रतिक्रिया दी जाएगी। सुरक्षा बलों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान तेज़ किया गया है, ताकि किसी भी खतरे को पहले ही पहचानकर रोका जा सके।
गश्त और पेट्रोलिंग में बढ़ोतरी
ऑपरेशन अलर्ट के तहत ऊंटों से गश्त और पैदल पेट्रोलिंग में भी बढ़ोतरी की जा रही है। जैसलमेर का रेगिस्तानी इलाका भौगोलिक रूप से कठिन है, जहां गर्मी में तापमान बेहद अधिक हो जाता है और धूल भरी आंधियों के कारण दृश्यता कम हो जाती है। ऐसे में ऊंट गश्त इलाके की बेहतर निगरानी का एक भरोसेमंद तरीका है, जिससे उन स्थानों तक पहुंचा जा सकता है जहां वाहन चलाना मुश्किल होता है।
अस्थायी चौकियों की स्थापना
बीएसएफ ने कई संवेदनशील स्थानों पर अस्थायी चौकियां स्थापित की हैं। इन चौकियों पर अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं, जो 24 घंटे निगरानी रखेंगे। इस व्यवस्था का उद्देश्य उन इलाकों पर नजर रखना है, जहां से घुसपैठ या तस्करी की संभावना ज्यादा रहती है।
ड्रोन और हवाई निगरानी का खतरा
हाल के वर्षों में ड्रोन के जरिए सीमा पार से हथियार, नशीले पदार्थ और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी की घटनाएं बढ़ी हैं। इस खतरे को देखते हुए ऑपरेशन अलर्ट में हवाई निगरानी पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। संवेदनशील इलाकों में तकनीकी उपकरणों की मदद से ड्रोन मूवमेंट को ट्रैक किया जाएगा और संदिग्ध गतिविधियों को तुरंत रोका जाएगा।
विपरीत परिस्थितियों में मुस्तैदी
जैसलमेर बॉर्डर का इलाका प्राकृतिक रूप से चुनौतीपूर्ण है। तेज गर्म हवाएं, रेत के टीलों में बदलता भूभाग और कम दृश्यता वाले हालात में सुरक्षा बलों के लिए निगरानी रखना आसान नहीं होता। इसके बावजूद स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बीएसएफ पूरी तरह तैयार है। जवान दिन-रात लगातार ड्यूटी कर रहे हैं ताकि देश की सरहदें पूरी तरह सुरक्षित रहें।
पूरे साल की चौकसी, लेकिन इस बार खास तैयारी
हालांकि बीएसएफ पूरे साल सीमा पर मुस्तैद रहती है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा का स्तर और बढ़ा दिया जाता है। इस बार ऑपरेशन अलर्ट में न केवल जवानों की संख्या बढ़ाई गई है, बल्कि तकनीकी साधनों और स्थानीय संसाधनों का भी पूरा इस्तेमाल किया जा रहा है। ऊंट गश्त, मोटर पेट्रोलिंग, हवाई निगरानी और अस्थायी चौकियां—ये सभी कदम एक साथ मिलकर सरहद को अभेद्य बना रहे हैं।
सीमा सुरक्षा बल के अनुसार, ऑपरेशन अलर्ट का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि 15 अगस्त को पूरे देश में शांति और सुरक्षा का माहौल बना रहे। जैसलमेर जैसे संवेदनशील बॉर्डर इलाकों में यह अभियान न केवल सुरक्षा बलों की क्षमता का प्रदर्शन है, बल्कि यह संदेश भी है कि भारत की सरहदों पर हर समय सख्त चौकसी रहती है और किसी भी दुश्मन मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।


