शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है। राज्य के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर इन दिनों अपने सांगोद विधानसभा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में चल रहे घटिया निर्माण कार्यों को लेकर चर्चा में हैं। मंत्री नागर खुद स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं और जहां भी उन्हें निर्माण की गुणवत्ता में खामी नजर आ रही है, वहां वे सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। कई स्थानों पर तो उन्होंने मौके पर बुलडोजर चलवाकर खराब निर्माण को ध्वस्त करवा दिया है।
ऊर्जा मंत्री नागर ने कहा कि उन्हें लगातार ग्रामीणों से शिकायतें मिल रही थीं कि सरकारी स्कूलों में निम्न स्तर का निर्माण कार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि “जहां भी मैं जा रहा हूं, लोग स्कूलों की दीवारों और फर्श की खराब गुणवत्ता की शिकायतें कर रहे हैं। एक ठोकर मारते ही प्लास्टर झड़ने लगता है और दीवारों से धूल उड़ने लगती है। ऐसे घटिया निर्माण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
“मेरे क्षेत्र में घटिया काम नहीं चलेगा”: हीरालाल नागर
नागर ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी विभाग या मंत्री पर सवाल उठाना नहीं है, बल्कि जनता के हित में ईमानदार कार्रवाई करना है। उन्होंने कहा कि “मेरे विधानसभा क्षेत्र में किसी भी विभाग में घटिया काम नहीं चलेगा। अगर कहीं गुणवत्ता में कमी है, तो कार्रवाई जरूर होगी।”
मंत्री नागर की इस मुहिम के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री का यह कदम सरकार के भीतर मतभेदों का संकेत देता है। वहीं, नागर ने इसे नकारते हुए कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ जनता की भलाई और सरकारी धन की सही उपयोगिता सुनिश्चित करना है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पलटवार: “ये काम कांग्रेस सरकार के हैं”
ऊर्जा मंत्री के आरोपों पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “इनमें से अधिकांश निर्माण कार्य शिक्षा विभाग द्वारा नहीं करवाए गए हैं। ये निर्माण पंचायत समितियों के माध्यम से करवाए गए थे और वो भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में।”
दिलावर ने कहा कि वर्तमान सरकार के दौरान ऐसे किसी भी स्कूल निर्माण का काम नहीं करवाया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऊर्जा मंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच करवाई जाएगी और अगर किसी स्तर पर भ्रष्टाचार या लापरवाही पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने दिए जांच के आदेश, जिम्मेदारी तय होगी
दोनों मंत्रियों के बयानों के बाद अब यह मुद्दा प्रदेश सरकार के लिए संवेदनशील हो गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और शिक्षा विभाग को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, सांगोद और आस-पास के कई ब्लॉकों में ऐसे स्कूलों की पहचान की जा रही है जहां पिछले कुछ वर्षों में निर्माण कार्य करवाए गए थे। जांच में यह भी देखा जाएगा कि किन अधिकारियों ने निर्माण की स्वीकृति दी थी और क्या तकनीकी परीक्षण किए गए थे या नहीं।


