शोभना शर्मा। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री सांवलिया जी मंदिर में इस बार श्रद्धालुओं को 7 सितम्बर को चंद्रग्रहण के कारण विशेष नियमों का पालन करना होगा। मंदिर प्रशासन ने घोषणा की है कि रविवार, 7 सितम्बर को पूर्णिमा के दिन लगने वाले चंद्रग्रहण के कारण मंदिर के कपाट दोपहर 12 बजे तक खुले रहेंगे। इसके बाद मंदिर बंद कर दिया जाएगा और किसी भी श्रद्धालु को दर्शन की अनुमति नहीं होगी।
शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार बंद रहेंगे सांवलिया जी मंदिर के कपाट
मंदिर मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रभा गौतम ने बताया कि शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार ग्रहण के समय मंदिरों को बंद रखना आवश्यक होता है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे समय में पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और देवदर्शन नहीं किए जाते। इसी परंपरा का पालन करते हुए 7 सितम्बर को दोपहर 12 बजे के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
श्रद्धालुओं को दर्शन का अगला अवसर 8 सितम्बर की सुबह मिलेगा। उस दिन मंगला आरती के साथ ही मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और दर्शन की सामान्य व्यवस्था फिर से शुरू होगी।
ग्रहण के बाद विशेष शुद्धिकरण
चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर में विशेष सफाई और शुद्धिकरण की प्रक्रिया की जाएगी। यह धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। शुद्धिकरण के बाद ही देव प्रतिमा के दर्शन पुनः शुरू कराए जाएंगे। मंदिर मंडल ने बताया कि ग्रहण की अवधि समाप्त होते ही मंदिर प्रशासन पूरी रात सफाई और तैयारियों में जुटा रहेगा ताकि अगले दिन सुबह श्रद्धालुओं को बिना किसी बाधा के दर्शन कराए जा सकें।
श्रद्धालुओं से अपील
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अपनी यात्रा और दर्शन की योजना बनाते समय इस बदलाव को ध्यान में रखें।
जो भक्त 7 सितम्बर को दर्शन करना चाहते हैं, वे दोपहर 12 बजे से पहले मंदिर अवश्य पहुंचें।
12 बजे के बाद किसी भी स्थिति में मंदिर में प्रवेश संभव नहीं होगा।
यदि कोई भक्त दर्शन का मौका चूक जाते हैं, तो वे 8 सितम्बर की सुबह मंगला आरती से दर्शन कर सकते हैं।
प्रशासन का कहना है कि इस व्यवस्था से श्रद्धालुओं को असुविधा नहीं हो, इसके लिए पहले से सूचना दी जा रही है।
धार्मिक मान्यताएं और ग्रहण
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ग्रहण को अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है और धार्मिक स्थलों पर पूजा-पाठ से उसका असर बढ़ सकता है। इसी कारण मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और देव प्रतिमाओं को ढक दिया जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर की सफाई, शुद्धिकरण और विशेष पूजा के बाद ही पुनः दर्शन प्रारंभ किए जाते हैं।
सोमवार को फिर शुरू होंगे दर्शन
8 सितम्बर सोमवार की सुबह से मंदिर की सामान्य व्यवस्था फिर से बहाल होगी। उस दिन सुबह-सुबह होने वाली मंगला आरती से ही श्रद्धालु भगवान श्री सांवलिया जी के दर्शन कर पाएंगे। चूंकि यह सप्ताह का पहला दिन होगा, इसलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। प्रशासन ने इसके लिए पहले से सुरक्षा और प्रबंधन की विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान
मंदिर मंडल और प्रशासन ने बताया कि ग्रहण के समय मंदिर बंद रहने के बावजूद सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में पुलिस बल तैनात रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सूचनाएं विभिन्न माध्यमों से लगातार साझा की जा रही हैं।
अफवाहों से बचने की अपील
मंदिर मंडल ने यह भी स्पष्ट किया है कि श्रद्धालु केवल मंदिर प्रशासन द्वारा जारी की गई जानकारी पर ही भरोसा करें। सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से फैल रही अफवाहों पर ध्यान न दें। प्रशासन ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से धार्मिक परंपराओं और श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।