शोभना शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट ने रेलवे के एक मल्टी कार्गो टर्मिनल प्रोजेक्ट के लिए 617 पेड़ों की कटाई की अनुमति 10 गुना पेड़ लगाने की शर्त पर दी है। यह प्रोजेक्ट रेलवे की गति शक्ति योजना के अंतर्गत जयपुर जिले की सांभर-फुलेरा तहसील में बनाया जा रहा है। इस परियोजना के लिए चिह्नित भूमि पर 565 खेजड़ी पेड़ों समेत कुल 617 पेड़ मौजूद हैं।
याचिका में पेड़ों की कटाई का विरोध
इस मुद्दे पर मेरिडियन फाउंडेशन द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि प्रशासन ने पेड़ों की कटाई से पहले वैकल्पिक उपायों की तलाश नहीं की, जिससे पेड़ों की कटाई को कम किया जा सके। याचिका में दी गई एनओसी और पेड़ों की नीलामी के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।
सरकार ने पहले 5 गुना पेड़ लगाने की बात कही
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि वन और राजस्व विभाग ने सभी जरूरी एनओसी जारी कर दी हैं। इसमें यह शर्त थी कि पेड़ों की कटाई के बदले पांच गुना यानी 3085 पेड़ लगाए जाएंगे। हालांकि, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कंपनी द्वारा केवल 500 पेड़ लगाने की जानकारी दी गई, जिससे पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।
कोर्ट का आदेश: 10 गुना पेड़ लगाने की शर्त
राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पेड़ों की कटाई की अनुमति को 10 गुना पेड़ लगाने की सख्त शर्त के साथ मंजूरी दी। इसका मतलब है कि अब रेलवे या परियोजना से जुड़े जिम्मेदार लोगों को 6170 पेड़ लगाने होंगे। कोर्ट ने इस फैसले को पर्यावरणीय संरक्षण और वनस्पति संतुलन बनाए रखने के लिए अहम बताया।
रेलवे की दलील
रेलवे ने कोर्ट को बताया कि परियोजना के लिए कंपनी ने सांभरलेक के उपखंड अधिकारी को आवेदन देकर पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी थी। 4 जुलाई को एडीएम ने परियोजना के लिए पेड़ों को हटाने की अनुमति जारी की थी, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि काटे गए पेड़ों के बदले 10 फीट ऊंचाई वाले पांच गुना नए पेड़ लगाए जाएंगे।
पेड़ कटाई के आदेश का विरोध
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रशासन द्वारा जारी एनओसी में पर्यावरणीय प्रभाव का पर्याप्त आकलन नहीं किया गया और वैकल्पिक उपायों पर ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही, परियोजना से जुड़े अधिकारियों द्वारा केवल 500 पेड़ लगाने की जानकारी देने पर भी सवाल उठाए गए।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हाईकोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई को अनिवार्य मानते हुए यह सुनिश्चित किया कि इसके बदले अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाएं। यह कदम न केवल पर्यावरणीय क्षति की भरपाई करने के लिए है, बल्कि राजस्थान जैसे राज्य में वृक्षारोपण के महत्व को भी रेखांकित करता है, जहां खेजड़ी जैसे पेड़ जलवायु संतुलन के लिए बेहद अहम हैं।
प्रोजेक्ट की पृष्ठभूमि
रेलवे का यह मल्टी कार्गो टर्मिनल परियोजना गति शक्ति योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना औद्योगिक और लॉजिस्टिक जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से बनाई जा रही है। हालांकि, पेड़ों की कटाई से पर्यावरणीय संतुलन को लेकर चिंताएं जाहिर की गई थीं, जिसके कारण कोर्ट ने यह फैसला लिया।
वृक्षारोपण की निगरानी
कोर्ट ने परियोजना से जुड़े अधिकारियों को वृक्षारोपण और उसकी निगरानी की जिम्मेदारी दी है। साथ ही, यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि लगाए गए पेड़ जीवित रहें और उनकी नियमित देखरेख हो।