शोभना शर्मा। राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और युवा नेता निर्मल चौधरी ने जयपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद जब वे परीक्षा देने पहुंचे तो उन्हें कोर्ट से मिली जमानत के बावजूद पुलिस ने केंद्र से गिरफ्तार कर लिया। हिरासत के दौरान पुलिस ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दी।
हिरासत में कपड़े उतरवाकर की गई मारपीट: निर्मल
निर्मल चौधरी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बिना किसी कानूनी आधार के जबरन परीक्षा केंद्र से उठा लिया और फिर हिरासत में कपड़े उतरवाकर बेरहमी से पीटा गया। उन्होंने कहा, “मुझे मां-बहन की गालियां दी गईं और धमकाया गया कि मेरी दोनों बहनों को झूठे केस में फंसा दिया जाएगा। पुलिस ने कहा कि मैं दो-तीन साल तक जेल से बाहर नहीं निकल पाऊंगा।”
शांतिपूर्ण प्रदर्शन बना गिरफ्तारी का आधार
चौधरी के अनुसार, वे राकेश बिश्नोई के समर्थन में न्याय की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन समाप्त होने के बाद वे अपनी परीक्षा देने पहुंचे थे, जहां से पुलिस ने उन्हें टारगेट कर गिरफ्तार किया। उनके साथ मौजूद आहोर विधायक अभिमन्यु पूनिया के साथ भी पुलिस ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया।
गुंडों जैसी भाषा, मानसिक प्रताड़ना और झूठे केस की धमकी
चौधरी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने गुंडों जैसी भाषा में बात की और पूरे जयपुर में उन्हें गाड़ियों में घुमाया। इसके बाद उन्हें खो नागोरियान थाने ले जाया गया, जहां उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें कई बार हवालात में बंद किया गया, कपड़े उतरवाए गए, और बार-बार कहा गया कि उन पर गंभीर धाराओं में केस बनाकर जेल भेजा जाएगा।
‘मैं भगत सिंह का अनुयायी हूं, दबाव में नहीं आऊंगा’
निर्मल चौधरी ने कहा कि वे इन सभी घटनाओं के बावजूद डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं भगत सिंह का अनुयायी हूं, अन्याय के आगे झुकने वाला नहीं हूं। पुलिस जितना चाहे दमन कर ले, लेकिन मैं सच की लड़ाई नहीं छोड़ूंगा।”
जयपुर पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का ऐलान
चौधरी ने घोषणा की कि वे अब जयपुर पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने वकीलों से संपर्क करने की बात कही और कहा कि उन्हें भारत की न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है। वे इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं और उच्च स्तर की प्रशासनिक कार्रवाई की अपील भी कर रहे हैं।
सरकार और पुलिस प्रशासन पर निशाना
निर्मल चौधरी ने इस मौके पर बीजेपी सरकार और पुलिस प्रशासन पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज देश और प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने की सुनियोजित कोशिश की जा रही है। उन्होंने पूछा कि अगर कोई छात्र नेता शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखता है तो उसे पीटकर, गालियां देकर और धमकाकर चुप करवाना कहां तक न्यायसंगत है?
विपक्ष और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस मामले में अब विपक्षी पार्टियां और कई छात्र संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। निर्मल चौधरी के समर्थन में कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है। वहीं, मानवाधिकार संगठनों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।