मनीषा शर्मा। राजस्थान पुलिस के सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा (2021) में गड़बड़ी और अनियमितताओं के मामले में SOG (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) की जांच सवालों के घेरे में है। SOG पर आरोप है कि छह महीने बाद भी उसने कई नामजद आरोपियों से पूछताछ तक नहीं की। प्रारंभिक जांच में पुष्टि होने के बाद, 3 मार्च 2024 को SOG ने 40 आरोपियों को नामजद किया था, लेकिन उसके बाद कार्रवाई धीमी पड़ गई। इस गड़बड़ी में कई उम्मीदवारों ने डमी बैठाकर परीक्षा पास की, और अब वह राजस्थान पुलिस एकेडमी (RPA) में ट्रेनिंग ले रहे हैं।
SOG की लापरवाही और नामजद आरोपियों को क्लीनचिट
जांच के दौरान 69 ऐसे नाम सामने आए जो भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी में शामिल थे। हालांकि, SOG ने उन्हें चार्जशीट से बाहर कर दिया और क्लीनचिट दे दी। FIR के अनुसार, इन नामों में बड़े प्रभावशाली नाम शामिल थे, जिन्हें संभावित रूप से अभियोजन से बचाने की कोशिश की जा रही है। FIR में कई नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, लेकिन कार्रवाई के अभाव में जांच को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
परीक्षा प्रभारी गिरफ्तार, प्रिंसिपल को क्लीनचिट
एसआई भर्ती परीक्षा में खातीपुरा के एक स्कूल से पेपर लीक हुआ था। यहां के परीक्षा प्रभारी राजेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया, लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल जयप्रकाश राघव को क्लीनचिट दे दी गई। पूछताछ नोट में राजेंद्र यादव ने प्रिंसिपल की मिलीभगत का जिक्र किया था, लेकिन उसके बावजूद SOG की ओर से कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया।
राजस्थान पुलिस एकेडमी में ट्रेनिंग कर रहे 56 डमी उम्मीदवार
जांच में खुलासा हुआ कि 61 उम्मीदवारों की जगह डमी बैठे थे, जिनमें से 56 अभी भी RPA में ट्रेनिंग कर रहे हैं। इन उम्मीदवारों के हस्ताक्षर, थंब इम्प्रेशन और फोटो परीक्षा के दौरान प्राप्त रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे हैं। SOG की ओर से इन पर अभी तक सख्त कार्रवाई नहीं हुई है, जिसके कारण वे बिना किसी रुकावट के ट्रेनिंग में शामिल हो रहे हैं।
नामजद उम्मीदवारों की सूची
नीचे उन प्रमुख उम्मीदवारों की सूची दी जा रही है, जो मेरिट सूची में शामिल थे, लेकिन बाद में इनकी जगह डमी बैठाए गए:
- महेंद्र डूडी (मेरिट नंबर: 47, रोल नं: 641278, परीक्षा केंद्र: DPS देव पब्लिक स्कूल, कोटा)
- प्रियंका गोस्वामी (मेरिट नंबर: 102, रोल नंबर: 858724, परीक्षा केंद्र: शिव शक्ति पब्लिक स्कूल, जयपुर)
- नितेश कुमार मांजू (मेरिट नंबर: 121, रोल नंबर: 910048, परीक्षा केंद्र: भीमराव अंबेडकर आवासीय महाविद्यालय, जोधपुर)
- दिनेश कुमार (मेरिट नंबर: 131, रोल नंबर: 836816, परीक्षा केंद्र: जागृति विद्या मंदिर सीनियर सैकंडरी स्कूल, झोटवाड़ा, जयपुर)
…इत्यादि।
नामजद आरोपियों पर कार्रवाई का अभाव
जांच में नामजद कई आरोपियों में सुनील भादू और गणपतलाल विश्नोई जैसे नाम भी सामने आए। ये दोनों जगदीश विश्नोई के लिए काम कर रहे थे और कथित रूप से पेपर लीक में शामिल थे, लेकिन SOG ने इनसे पूछताछ नहीं की। इसके अलावा, जितेंद्र तंवर को पूछताछ के बाद क्लीनचिट दे दी गई, जबकि गिरफ्तार आरोपी मनोज चौधरी ने स्वीकार किया था कि उसने जितेंद्र को पेपर दिया था।
RPA से बुलाए गए आरोपी ट्रेनिंग छोड़कर भागे
दो नामजद उम्मीदवारों, मोनिका (34) और प्रियंका गोस्वामी (102) को SOG ने पूछताछ के लिए RPA से बुलाया था, लेकिन बाद में उन्हें क्लीनचिट देकर छोड़ दिया गया। इसके बाद, ये दोनों ट्रेनिंग छोड़कर फरार हो गए। अन्य कई उम्मीदवार भी पूछताछ के बाद गायब हो गए हैं, जैसे कि अभय सिंह (मेरिट 7), जो 35वें नंबर पर नामजद है।
सबूतों की कमी या अनदेखी?
SOG की ओर से परीक्षा में गड़बड़ी के लिए डमी उम्मीदवारों की ओर से दी गई फर्जी पहचान की जांच भी की गई। इस जांच में उनके हस्ताक्षर, थंब इम्प्रेशन और फोटो वास्तविक उम्मीदवारों के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते। इस प्रकार, प्रमाणों के अभाव के बहाने से नामजद आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
राजस्थान की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा (2021) की जांच में SOG की लापरवाही, नामजद आरोपियों पर मेहरबानी और डमी उम्मीदवारों की जारी ट्रेनिंग को लेकर कई सवाल उठते हैं। यदि जल्द ही इन मामलों में निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो भर्ती प्रक्रिया पर भरोसा और प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्न:
क्या SOG बिना किसी दबाव के निष्पक्ष तरीके से जांच कर रही है?
डमी उम्मीदवारों को ट्रेनिंग जारी रखना क्या कानून के दायरे में आता है?
उच्चाधिकारियों द्वारा प्रिंसिपल को क्लीनचिट देने का निर्णय कितनी हद तक सही है?
इस घोटाले के कारण राजस्थान में अन्य भर्तियों पर भी संदेह गहराता जा रहा है, और यह प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।