मनीषा शर्मा। केंद्र सरकार ने शुक्रवार, 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि NEET-UG 2024 परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। ऐसा करने से लाखों ईमानदार उम्मीदवारों के करियर को गंभीर खतरा हो सकता है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने कहा कि उन उम्मीदवारों के करियर की संभावनाओं के लिए भी यह ठीक नहीं होगा, जिन्होंने परीक्षा पास कर ली है।
केंद्र और NTA ने एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में कहा कि परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं या गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा CBI को सौंपा गया है। NEET परीक्षा 5 मई को आयोजित की गई थी, जिसके बाद पेपर लीक और गड़बड़ियों के आरोप लगे। 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क देने पर भी विवाद हुआ। NTA ने इन उम्मीदवारों की परीक्षा रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित की।
केंद्र ने परीक्षा रद्द न करने के लिए दो तर्क दिए:
- राष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी या गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में परीक्षा रद्द करना उचित नहीं होगा।
- बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं जिन्होंने बिना गड़बड़ी के परीक्षा दी है। उनके प्रतिस्पर्धा के अधिकार और हितों को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
NTA ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। पेपर लीक की कथित घटनाओं का परीक्षा के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। परीक्षा को पूरी निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ आयोजित किया गया।
पेपर लीक और गड़बड़ियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई सभी 26 याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी। इनमें से 22 याचिकाएं छात्रों, शिक्षकों, कोचिंग संस्थानों और वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर की गई हैं। वहीं, 4 याचिकाएं NTA की ओर से दायर हुई हैं। इसके अलावा, ReNEET के खिलाफ गुजरात के 56 छात्रों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि दोबारा परीक्षा कराना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।