शोभना शर्मा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे की बढ़ती संपत्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तत्काल जरूरत है। रेलवे में पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूंजीगत व्यय में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में यह व्यय 1.48 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में 2.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस पूंजीगत व्यय के परिणामस्वरूप रेलवे की परिसंपत्तियों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके चलते रेल संचालन को सुरक्षित और सुचारू बनाए रखने के लिए पर्याप्त कार्यबल की आवश्यकता है।
संपत्तियों में वृद्धि
सतीश कुमार ने कहा कि रेलवे के मिशन 300 करोड़ टन के लक्ष्य को देखते हुए, भविष्य में परिसंपत्तियों में और वृद्धि होगी। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अधिक रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी, जिसके लिए अधिक कर्मचारियों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रेलवे की क्षमता 161 करोड़ टन है, जिसे 2030 तक 300 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
चेयरमैन ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में रेलवे ने कई नई परिसंपत्तियां बनाई हैं। ट्रैक सर्किट में 269 प्रतिशत, रेलवे विद्युतीकरण में 79 प्रतिशत, और लोको शेड में 227 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा, “कवच” तकनीक के कवरेज में 486 प्रतिशत की वृद्धि, इंजनों में 59 प्रतिशत की वृद्धि, और रेलगाड़ियों के डिब्बों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वित्त मंत्रालय की मंजूरी आवश्यक
सतीश कुमार ने अपने पत्र में वित्त मंत्रालय से आग्रह किया है कि सुरक्षा और आवश्यक श्रेणियों में गैर-राजपत्रित पदों के सृजन के लिए रेलवे बोर्ड को अधिक अधिकार दिए जाएं। उन्होंने बताया कि मौजूदा नियमों के अनुसार, रेलवे में किसी भी नए पद का सृजन करने के लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग से मंजूरी आवश्यक होती है।
रेलवे के कर्मचारियों की तत्काल आवश्यकता
चेयरमैन ने विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी, नई परिसंपत्तियों के रखरखाव, और ट्रेनों के सुचारू संचालन के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रेलवे को अपनी मौजूदा और भविष्य की संपत्तियों को बेहतर ढंग से संचालित करने और रेलवे के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता है। इसका सीधा असर रेलवे के सुरक्षित और प्रभावी संचालन पर पड़ेगा, जिससे यात्री और माल परिवहन दोनों को लाभ होगा।