मनीषा शर्मा , अजमेर। अजमेर में 8 मार्च को आयोजित होने वाली साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत स्थगित कर दी गई है। यह निर्णय वकीलों के कार्य बहिष्कार और अजमेर बंद के चलते लिया गया। गौरतलब है कि वकीलों ने हाल ही में हुई वकील हत्या के विरोध में बंद का आह्वान किया था, जिससे न्यायिक कार्य प्रभावित हुए।
इस लोक अदालत के लिए अजमेर मुख्यालय सहित जिले के विभिन्न न्यायालयों में कुल 21 बेंचों का गठन किया गया था। मुख्यालय पर 10 बेंच बनाई गई थीं, जिनमें से छह सिविल और क्रिमिनल मामलों के लिए, एक राजस्व मंडल के लिए, एक राजस्व प्रकरणों के लिए, एक स्थायी लोक अदालत एवं जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के मामलों के लिए और एक प्री-लिटिगेशन मामलों के लिए गठित की गई थी। इसी तरह, ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी और तालुका क्षेत्रों में दो-दो बेंच बनाई गई थीं, जिनमें से एक न्यायिक मामलों और दूसरी राजस्व प्रकरणों के लिए थी। नसीराबाद, सरवाड़, विजयनगर, पुष्कर और मसूदा में भी एक-एक बेंच का गठन किया गया था।
हर बेंच में न्यायिक प्रकरणों के लिए एक पैनल वकील को सदस्य बनाया गया था, जबकि राजस्व प्रकरणों के लिए सेवारत राजस्व अधिकारी को सदस्य नियुक्त किया गया था। मुख्यालय में स्थित पैरा लीगल वॉलंटियर्स की ड्यूटी लोक अदालत के प्रचार-प्रसार और हेल्प डेस्क पर लगाई गई थी, ताकि मामलों के जल्द निपटारे में मदद मिल सके।
राष्ट्रीय लोक अदालत में छोटे-मोटे विवादों, उपभोक्ता मामलों, बिजली-पानी के बिल विवादों, पारिवारिक विवादों, संपत्ति विवादों और अन्य मामलों का निपटारा किया जाता है। इसमें अदालत के बाहर आपसी सहमति से मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे न्याय प्रक्रिया आसान और तेज होती है। लेकिन वकीलों की हड़ताल और विरोध के चलते इस बार लोक अदालत का आयोजन संभव नहीं हो सका।
वकीलों ने इस विरोध को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है और प्रशासन से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस घटना को लेकर राजस्थान के अन्य जिलों में भी आक्रोश देखा जा रहा है। फिलहाल, राष्ट्रीय लोक अदालत की नई तारीख को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। अदालत स्थगित होने से हजारों मामलों का निपटारा फिलहाल टल गया है, जिससे आम लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है।