मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। थप्पड़ कांड से सुर्खियों में आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरेश मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्र सरकार को खुला चैलेंज देते हुए कहा है कि वे किसी भी कीमत पर डूंगरी बांध का निर्माण नहीं होने देंगे।
बुधवार को नरेश मीणा सवाई माधोपुर जिले के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान बड़ागांव और भदरोती कस्बे में उनका जोरदार स्वागत किया गया। यहां स्थानीय ग्रामीणों ने उनसे मुलाकात कर डूंगरी बांध के विरोध की बात रखी। ग्रामीणों का कहना था कि बांध बनने से कई गांव डूब क्षेत्र में आ जाएंगे और सैकड़ों परिवार उजड़ जाएंगे।
“एक ईंट तक नहीं लगने दूंगा”
इस मौके पर नरेश मीणा ने स्पष्ट घोषणा करते हुए कहा,
“सरकार डूंगरी बांध बनाना चाहती है, लेकिन मैं किसी भी सूरत में इसके नाम पर एक ईंट तक नहीं लगने दूंगा।”
उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि यदि डूंगरी बांध का निर्माण रोकने के लिए गोली भी खानी पड़े तो वे सबसे पहले तैयार रहेंगे। मीणा का कहना था कि चाहे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कोई भी ताकत इस बांध को बनाने में सफल नहीं हो पाएगी।
भाजपा सरकार पर निशाना
नरेश मीणा ने इस दौरान भाजपा सरकार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन में दलितों और पिछड़े वर्गों पर अत्याचार बढ़ गए हैं और कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है और सरकार जनता की समस्याओं से पूरी तरह बेखबर है।
गाजा से की तुलना
डूंगरी बांध के मुद्दे पर नरेश मीणा ने एक और बड़ा बयान देते हुए इसकी तुलना गाजा पट्टी से कर दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से फिलिस्तीनियों को गाजा से उजाड़ा गया था, उसी तरह डूंगरी बांध बनने से सैकड़ों गांवों के लोग उजाड़ दिए जाएंगे। उनका कहना था कि यह परियोजना गरीब और किसानों के जीवन पर सीधा प्रहार करेगी।
उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि उनके रहते हुए डूंगरी बांध किसी भी कीमत पर नहीं बनेगा, लेकिन इसके लिए स्थानीय लोगों को भी एकजुट होना होगा।
चकेरी महापंचायत में लेंगे हिस्सा
नरेश मीणा ने यह भी ऐलान किया कि वे 21 सितंबर को चकेरी गांव में होने वाली महापंचायत में शामिल होंगे। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में महापंचायत में पहुंचे और सरकार को सीधी चुनौती दें। उनका कहना था कि यदि जनता संगठित होकर अपनी आवाज उठाती है तो कोई भी सरकार उनके हक छीन नहीं सकती।