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76 गांवों की जमीन बचाने का संकल्प: नरेश मीणा

76 गांवों की जमीन बचाने का संकल्प: नरेश मीणा

मनीषा शर्मा।  सवाई माधोपुर जिले में प्रस्तावित डूंगरी बांध परियोजना को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को भूरी पहाड़ी गांव में आयोजित ग्रामीण सभा में युवा नेता नरेश मीणा ने खुलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी कीमत पर डूंगरी बांध नहीं बनने दिया जाएगा और 76 गांवों के हजारों लोगों को उजड़ने नहीं दिया जाएगा। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा— “जब भाई एक इंच खेत की मेड़ खोद देता है तो लोग गंडासी उठा लेते हैं, तो फिर हजारों बीघा जमीन और सैकड़ों आशियानों को कैसे छोड़ दें। हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे और इस बांध में एक भी ईंट नहीं लगने देंगे।”

हजारों लोगों की भूख हड़ताल और पैदल यात्रा की तैयारी

नरेश मीणा ने आंदोलन को व्यापक रूप देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि डूंगरी बांध निरस्त करवाने के लिए ग्रामीणों के साथ मिलकर वह भूख हड़ताल और पैदल यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में हजारों ग्रामीण एक साथ भूख हड़ताल पर बैठेंगे। सभी 76 प्रभावित गांवों से लोग इसमें शामिल होंगे। आंदोलन का समापन एक विशाल महापंचायत के रूप में होगा, जिसमें लाखों लोग जुटेंगे। नरेश ने कहा कि अगर ग्रामीण साथ देते हैं तो यह आंदोलन देश के इतिहास का सबसे बड़ा अनशन साबित होगा।

भाजपा और कांग्रेस पर हमला

नरेश मीणा ने अपने संबोधन में भाजपा और कांग्रेस दोनों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे और कांग्रेस के सांसद व नेता भी ग्रामीणों के दर्द से दूर हैं। उन्होंने खासकर टोंक-सवाई माधोपुर सांसद हरीशचंद्र मीणा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ग्रामीणों का साथ छोड़कर वे चुप क्यों हैं। नरेश ने ग्रामीणों से अपील की कि वे उन नेताओं का बहिष्कार करें जो आंदोलन में साथ नहीं देते।

आंदोलन को सर्व समाज का स्वरूप देने की अपील

नरेश मीणा ने कहा कि डूंगरी बांध विरोध आंदोलन सिर्फ एक समुदाय का नहीं होगा, बल्कि सर्व समाज की लड़ाई बनेगा। उन्होंने आह्वान किया कि इस आंदोलन में हर वर्ग के नेता और लोग शामिल हों।

  • गुर्जर समाज से प्रह्लाद गुंजल

  • मुस्लिम समाज से इमरान प्रतापगढ़ी या असदुद्दीन ओवैसी

  • ब्राह्मण समाज और अन्य वर्गों के नेता

नरेश ने कहा कि जब तक आंदोलन सफल नहीं होता, तब तक न कोई फूल माला पहनाई जाएगी और न ही साफा बांधा जाएगा। सभी ग्रामीण एकजुट होकर लड़ेंगे।

“जब पक्षी घोंसला नहीं छोड़ता तो इंसान क्यों छोड़े”

ग्रामीणों को संबोधित करते हुए नरेश मीणा ने भावनात्मक अंदाज में कहा कि पीढ़ियों से लोग इस क्षेत्र में रहते आए हैं। “जब पक्षी अपना घोंसला जान देकर भी नहीं छोड़ता, तो हम इंसान क्यों छोड़ दें। हमारी माताएं-बहनें कह रही हैं कि वे जान दे देंगी लेकिन जमीन नहीं छोड़ेंगी।” उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल जमीन बचाने का संघर्ष नहीं है, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई है।

डूंगरी बांध परियोजना क्या है?

डूंगरी बांध सवाई माधोपुर और करौली जिलों की सीमा पर प्रस्तावित है। इस परियोजना के डूब क्षेत्र में 76 गांव आते हैं। हजारों बीघा कृषि भूमि और सैकड़ों घर प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने उनकी सहमति लिए बिना यह योजना बनाई है। पिछले कुछ महीनों से इस परियोजना के विरोध में कई महापंचायतें और प्रदर्शन हो चुके हैं।

नरेश मीणा का राजनीतिक संदर्भ

नरेश मीणा का नाम हाल ही में नवंबर 2024 में देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान सुर्खियों में आया था, जब उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद से वह लगातार आक्रामक तेवर और जनसरोकार वाले मुद्दों के कारण चर्चाओं में बने हुए हैं। डूंगरी बांध के विरोध में उनकी सक्रियता से साफ है कि वे खुद को ग्रामीणों के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

डूंगरी बांध परियोजना फिलहाल सवाई माधोपुर और करौली जिलों के हजारों लोगों की जिंदगी पर संकट बनकर खड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार का यह निर्णय उन्हें उजाड़ देगा। ऐसे में नरेश मीणा के नेतृत्व में चल रहा विरोध आंदोलन आने वाले दिनों में और उग्र रूप ले सकता है।

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