शोभना शर्मा। नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) को बड़ा झटका लगा। उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल भाजपा प्रत्याशी रेवंतराम डांगा से 13,901 वोटों से हार गईं। चुनाव परिणामों के बाद हनुमान बेनीवाल ने भाजपा पर सरकारी तंत्र और धनबल का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
चुनाव परिणाम के बाद हनुमान बेनीवाल का बयान
चुनाव परिणाम घोषित होते ही हनुमान बेनीवाल ने अपने समर्थकों से कहा, “भाजपा और कांग्रेस ने हमारे खिलाफ सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया। फिर भी हमने पिछले चुनाव की तुलना में 15,000 ज्यादा वोट हासिल किए। हमें निराश होने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि आगामी 4 सालों में पेपर लीक, बजरी माफिया और अपराध के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
भाजपा पर आरोप: “धनबल और सत्ता का दुरुपयोग”
हनुमान बेनीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए धनबल और सत्ता का दुरुपयोग किया। उन्होंने दावा किया कि एमएलए और एमपी कोटे के फंड को अटकाया गया, बिजली विभाग ने आचार संहिता का उल्लंघन कर रातोंरात काम किया, और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।
“हम हारकर भी जीते हैं”
हार स्वीकार करते हुए बेनीवाल ने कहा कि पिछली बार की तुलना में 15,000 ज्यादा वोट पाकर उन्होंने अपनी पकड़ मजबूत की है। उन्होंने कहा, “हमारे स्कूल के एक छात्र को भाजपा ने उम्मीदवार बना दिया। यह हमारे खिलाफ एक साजिश थी।”
भाजपा प्रत्याशी रेवंतराम डांगा का बयान
जीत के बाद रेवंतराम डांगा ने कहा, “हनुमान बेनीवाल हमेशा गठबंधन की राजनीति पर निर्भर रहे हैं। अब उन्हें जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है। विधानसभा में अब उनका नाम लेने वाला कोई नहीं होगा।”
कांग्रेस की स्थिति पर टिप्पणी
हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी स्थिति बेहद खराब हो गई है। उन्होंने कहा, “राजा साहब (गजेंद्र सिंह खींवसर) को अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए भाजपा के पक्ष में वोट बढ़ाने पड़े।”
रिछपाल मिर्धा का बयान: “विभीषणों के दम पर हराया”
आरएलपी की हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता और डेगाना के पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा ने कहा कि हनुमान बेनीवाल को उनके अपने लोगों ने हराने में मदद की। उन्होंने कहा, “हनुमान बेनीवाल को उनके ‘विभीषणों’ की वजह से हराया गया।”
नागौर उपचुनाव का राजनीतिक महत्व
खींवसर उपचुनाव में आरएलपी की हार हनुमान बेनीवाल के लिए बड़ा झटका है। इस हार से न केवल उनकी राजनीतिक ताकत पर असर पड़ेगा, बल्कि आरएलपी के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। दूसरी ओर, भाजपा की यह जीत राजस्थान में अगले विधानसभा चुनावों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है।