शोभना शर्मा। राजस्थान में लंबे समय से चर्चा में चल रहे ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर अब सरकार की स्थिति स्पष्ट हो गई है। शहरी विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि प्रदेश में नगर निकाय और पंचायत चुनाव अब मई 2026 में ही कराए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सभी तैयारियां पूरी हैं, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) कार्यक्रम के चलते फिलहाल चुनाव कराना संभव नहीं हो पाया है। मंत्री के अनुसार, राज्य सरकार सितंबर तक अपनी ओर से सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर चुकी थी। नगर निकायों की सीमाओं का विस्तार, वार्ड परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसके नोटिफिकेशन जारी भी किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अब कोई भी ऐसा कार्य शेष नहीं है, जो चुनाव में रुकावट बने।
दो अहम प्रक्रियाएं अब भी बाकी
मंत्री खर्रा ने बताया कि चुनाव से पहले दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं अब भी पूरी होना बाकी हैं। पहला, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (State OBC Commission) को हर निकायवार ओबीसी वर्ग के आंकड़े जुटाने हैं। दूसरा, आरक्षण तय होने के बाद वार्डों की लॉटरी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। खर्रा ने बताया कि आयोग ने पहले सितंबर तक सर्वे पूरा करने का भरोसा दिया था और इसी आधार पर दिसंबर में चुनाव कराने की योजना थी। लेकिन, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित SIR कार्यक्रम के कारण यह संभव नहीं हो पाया।
SIR के कारण घट सकती है मतदाताओं की संख्या
मंत्री ने विशेष मतदाता पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) कार्यक्रम की अहमियत बताते हुए कहा कि पुरानी मतदाता सूची के आधार पर मतदान कराना वैधानिक रूप से उचित नहीं होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जयपुर महानगर में ही लगभग 1 से 1.5 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। इसलिए, जब तक निर्वाचन आयोग की पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक पुरानी मतदाता सूची पर चुनाव कराना गलत होगा। SIR प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद मतदाता सूची की अंतिम स्थिति स्पष्ट होगी और उसके बाद ही चुनावी प्रक्रिया को गति दी जा सकेगी।
परीक्षा के कारण चुनाव में और विलंब संभव
झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि विशेष मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया 15 फरवरी 2026 तक पूरी हो जाने की संभावना है। हालांकि, इसके तुरंत बाद मार्च और अप्रैल में स्कूल और कॉलेज परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के कर्मचारी और अधिकारी चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए इस अवधि में चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं होगा। परीक्षा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद ही चुनाव कराना संभव होगा, जिससे मई 2026 चुनाव के लिए उपयुक्त समय बनता है।
‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के तहत होगी समन्वित प्रक्रिया
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की नीति पर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस नीति के तहत, निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की योजना बनाई गई है ताकि प्रशासनिक खर्च और संसाधनों की बचत हो सके। उन्होंने कहा कि “हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीण और शहरी दोनों निकायों के चुनाव एक ही समय पर हों, जिससे मतदाताओं को बार-बार मतदान केंद्रों तक न जाना पड़े और सरकारी मशीनरी पर दबाव भी कम हो।”
सरकार पूरी तरह तैयार, आयोग के संकेत का इंतजार
झाबर सिंह खर्रा ने दोहराया कि राज्य सरकार की ओर से सभी प्रशासनिक और तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी जिलों में वार्ड परिसीमन, जनगणना डेटा और आरक्षण प्रस्ताव तैयार कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “अब हम केवल निर्वाचन आयोग के संकेत का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही आयोग SIR प्रक्रिया पूरी कर लेगा, राज्य सरकार निकाय और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को तुरंत आगे बढ़ा देगी।”
राजस्थान में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर जो अनिश्चितता बनी हुई थी, अब वह लगभग समाप्त हो गई है। राज्य सरकार की सभी तैयारियां पूरी हैं, केवल निर्वाचन आयोग के मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


