राष्ट्रीय उद्यानों का निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, वन्य जीवों की सुरक्षा और मनोरंजन के दृष्टिकोण से किया जाता है । इनका मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता की रक्षा और सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देना है, यह दार्शनिक, वैज्ञानिक, सूचनात्मक, मनोरंजक और पर्यटन गतिविधियों के लिए आधार के रूप में भी काम करते हैं। राजस्थान मे कुल 5 राष्ट्रीय उद्यान है जो राज्य के भूमि क्षेत्र का लगभग 1.15% हिस्सा हैं। मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान इन्ही खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यानों में से एक रहा है।
मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान
टाइगर रिजर्व मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह करीब 760 वर्ग किमी में चार जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौडगढ़़ में फैला है। करीब 417 वर्ग किमी कोर और 342 वर्ग किमी बफर जोन है। इसमें मुकुन्दरा राष्ट्रीय उद्यान, दरा अभयारण्य, जवाहर सागर व चंबल घडिय़ाल अभयारण्य का कुछ भाग शामिल है।
यहाँ का नजारा बरसात में अलग ही होता है। यहां शुष्क, पतझड़ी वन, पहाडिय़ां, नदी, घाटियों के बीच तेंदू, पलाश, बरगद, पीपल, महुआ, बेल, अमलताश, जामुन, नीम, इमली, अर्जुन, कदम, सेमल और आंवले के वृक्ष हैं। यहाँ दुर्लभ प्राणी भी हैं। जिनमे चम्बल नदी किनारे बघेरे, भालू, भेडिय़ा, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, काले हरिन, दुर्लभ स्याहगोह, निशाचर सिविट केट और रेटल जैसे दुर्लभ प्राणी भी देखने को मिलेंगे। अधिकारियों के अनुसार यहां 800 से 1000 चीतल, 50 से 60 के मध्य भालू, 60 से 70 पैंथर व 60 से 70 सांभर हैं। यहाँ करीब 225 तरह के पक्षियों की प्रजातियां हैं। इनमें अति दुर्लभ सफेद पीठ वाले व लम्बी चोंच वाले गिद्द, क्रेस्टेड सरपेंट, ईगल, शॉट टोड ईगल, सारस क्रेन, पैराडाइज प्लाई केचर, स्टोक बिल किंगफिशर, करर्ड स्कोप्स आउल, मोर समेत पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां शामिल हैं।
मुकुन्दरा हिल्स टागइर रिजर्व में पहले भी बाघ रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार 80 के दशक तक यहां बाघों की दहाड़ गूंजती थी। 2003 में भी एक बाघ ने इस क्षेत्र में अपने आप को यहां स्थापित किया था। गत दिनों में भी क्षेत्र में बाघ के देखे जाने की सूचनाएं आई थी, हालांकि वन विभाग इसकी पुष्टि नहीं कर पाया था। टागइर रिजर्व घोषित होने के बाद यहां मार्च तक तीन बाघों को बसाने की योजना है।