शोभना शर्मा। सवाड़ा-डूंगरपुर से बीएपी सांसद राजकुमार रोत ने मंगलवार को डूंगरपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पर बड़ा हमला किया। उन्होंने इस प्रक्रिया को कोविड से भी बड़ी “महामारी” बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग और प्रशासन ने इसे लागू करते समय जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर दिया। रोत के अनुसार यह योजना ऑफिसों में बैठकर तैयार की गई है, जबकि गांवों की भौगोलिक परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं और वहां इस प्रक्रिया को लागू करना बेहद कठिन साबित हो रहा है। सांसद ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में एक-एक घर दूर होता है। एक बीएलओ को एक घर तक पहुंचने के लिए आधा घंटा तक लग जाता है। ऐसे में यह कैसे संभव है कि बीएलओ रोजाना 50 घरों तक जा सके? यह काम न केवल मुश्किल है बल्कि कर्मचारियों पर मानसिक और शारीरिक दबाव भी बढ़ा रहा है।
“बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है”
सांसद राजकुमार रोत ने SIR प्रक्रिया को कोविड महामारी से भी बड़ी समस्या करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की वजह से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। उनका कहना था कि कोविड के दौरान स्कूल बंद थे, इसलिए पढ़ाई रुकी थी, लेकिन अब स्कूल खुले हैं, फिर भी शिक्षकों को SIR की ड्यूटी में लगा दिया गया है, जिसके चलते स्कूलों में शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब शिक्षक ही स्कूल में मौजूद नहीं होंगे तो बच्चों की पढ़ाई कैसे चलेगी? यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है।
“बीएलओ की जान जा रही है, सरकार वर्कलोड कम करे”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद रोत ने बीएलओ पर बढ़ते दबाव को बेहद चिंताजनक बताया। उनका कहना था कि SIR प्रक्रिया लागू होने के बाद से देशभर में 19 बीएलओ की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। कई मामलों में तनाव और दबाव के कारण हार्ट अटैक की शिकायतें सामने आईं, तो कुछ ने आत्महत्या तक कर ली। राजस्थान में भी कई बीएलओ की मौत होने की जानकारी सामने आई है। रोत ने कहा कि सरकार को इस पर त्वरित रूप से कार्रवाई करनी चाहिए। SIR प्रक्रिया का समय बढ़ाया जाना चाहिए और बीएलओ के वर्कलोड को कम किया जाना चाहिए, ताकि उनकी जान पर बन न आए।
राजस्व मंत्री हेमंत मीणा पर सीधा हमला
प्रेस वार्ता के दौरान सांसद राजकुमार रोत ने राजस्व मंत्री हेमंत मीणा के उस बयान पर भी कड़ा पलटवार किया जिसमें उन्होंने कहा था कि बीएपी का “सूपड़ा साफ” हो रहा है। रोत ने कहा कि किसी दल पर टिप्पणी करने से पहले मंत्री को अपने विभाग के कामकाज पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि हेमंत मीणा के कार्यकाल में कितने दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों को पट्टे दिए गए? रोत ने कहा कि मंत्री को मौका मिला था, लेकिन वे आम जनता का भला करने में असफल रहे। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “बीएपी का सूपड़ा साफ हो रहा है या नहीं, यह जनता तय करेगी, लेकिन आपके विभाग का सूपड़ा साफ होने से सरकार की छवि जरूर साफ हो रही है।”
SIR प्रक्रिया पर बढ़ता विवाद
सांसद रोत के बयान ने SIR प्रक्रिया पर चल रहे विवाद को और तेज कर दिया है। राजस्थान में पंचायतों, स्कूलों और ग्रामीण इलाकों में इस प्रक्रिया का विरोध लगातार बढ़ रहा है। शिक्षक और बीएलओ कार्यभार से परेशान हैं, जबकि राजनीतिक दल इसे बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में उठा रहे हैं।


