शोभना शर्मा। राजस्थान के डूंगरपुर जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अस्थायी नर्सिंग स्टाफ की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद राजकुमार रोत ने आरोप लगाया है कि प्लेसमेंट एजेंसी लीड गार्ड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने कुछ राजनेताओं की मिलीभगत से 1 से 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेकर अवैध नियुक्तियां की हैं। इस गंभीर आरोप के चलते उन्होंने राज्य सरकार से तत्काल भर्ती प्रक्रिया रोकने और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। रोत ने इस संबंध में राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को पत्र भी भेजा है।
बिना सूचना हटाए गए 83 नर्सिंगकर्मी
सांसद ने अपने पत्र में बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया में न तो कोई सार्वजनिक विज्ञापन जारी किया गया, न ही मेरिट सूची प्रकाशित की गई। साथ ही पहले से कार्यरत 83 नर्सिंगकर्मियों को बिना किसी पूर्व सूचना के हटा दिया गया और उनकी जगह पर नए, अनुभवहीन अभ्यर्थियों को नियुक्त कर दिया गया।
उन्होंने इसे न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही, बल्कि जिले के योग्य और अनुभवी युवाओं के साथ एक अन्याय करार दिया है। सांसद ने आरोप लगाया कि प्रक्रिया पूरी तरह से बंद कमरे में तय की गई और इसका उद्देश्य सिर्फ पैसे लेकर नियुक्तियां करना था।
भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: राजकुमार रोत
सांसद ने अपने बयान में कहा, “यह भ्रष्टाचार केवल नियमों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि आदिवासी क्षेत्र के युवाओं के भविष्य के साथ धोखा है। राज्य सरकार को इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषी प्लेसमेंट एजेंसी एवं अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जरूरत पड़ी तो वह यह मुद्दा संसद तक ले जाएंगे ताकि इस प्रकार की अवैध प्रक्रियाओं पर लगाम लगाई जा सके और आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं को न्याय मिल सके।
भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की उठी मांग
इस पूरे घटनाक्रम ने राजस्थान के भर्ती सिस्टम पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्षों से यह मांग उठती रही है कि सरकारी और अर्द्ध-सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता दी जाए। लेकिन इस मामले में न तो कोई अधिसूचना जारी हुई और न ही पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाई गई।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस आरोप के सामने आने के बाद स्थानीय सामाजिक संगठनों और बेरोजगार युवा वर्ग में आक्रोश है। कई संगठनों ने राज्य सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
इस मुद्दे को लेकर आने वाले दिनों में राजनीतिक गर्मी बढ़ सकती है, खासकर तब जब राजस्थान में युवाओं में पहले से ही परीक्षाओं में धांधली और भर्ती में अनियमितताओं को लेकर असंतोष व्याप्त है।


