शोभना शर्मा । भारत में चल रहे पहले चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट को अब एक नई दिशा मिलने जा रही है। मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान भी इस बहुप्रतीक्षित चीता प्रोजेक्ट का हिस्सा बनेगा। इसके तहत दोनों राज्यों के बीच कुल 17,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला एक विशाल चीता कॉरिडोर विकसित किया जाएगा, जिसमें चीते स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेंगे।
मंगलवार को जयपुर आए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस महत्वपूर्ण पहल की घोषणा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में चल रहा चीता प्रोजेक्ट अब राजस्थान के साथ मिलकर और भी मजबूत रूप से आगे बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि एमपी में पहले से ही दो प्रमुख चीता केंद्र—कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभयारण्य—सक्रिय हैं।
सीएम मोहन यादव ने कहा, “हमें गर्व है कि हमारे यहां चीते सफलता से सर्वाइव कर रहे हैं। यह एशिया का अनूठा प्रोजेक्ट है और अब जब राजस्थान भी इसमें शामिल हो रहा है, तो इसकी सफलता कई गुना बढ़ जाएगी।”
राजस्थान के 7 जिले होंगे शामिल
चीता प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान के सात जिलों को चिन्हित किया गया है। इनमें सबसे प्रमुख मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व है, जो पहले से ही बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए संरक्षित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा तय एक्शन प्लान के अनुसार, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून ने कूनो-गांधीसागर लैंडस्केप को चिह्नित किया है। इस लैंडस्केप में मध्यप्रदेश का 10,500 वर्ग किमी और राजस्थान का 6,500 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल होगा। इस पूरे भू-भाग में चीते मुक्त रूप से विचरण कर सकेंगे।
चीता कॉरिडोर कूनो नेशनल पार्क (मध्यप्रदेश) से शुरू होकर मुकंदरा हिल्स (राजस्थान) होते हुए गांधी सागर सेंचुरी (एमपी) तक फैलेगा। इस पूरे रास्ते को जोड़ने वाला यह भारत का पहला अंतर-राज्यीय चीता कॉरिडोर होगा।
उत्तर प्रदेश का भी संभावित जुड़ाव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कॉरिडोर में उत्तर प्रदेश के झांसी और ललितपुर जिलों के वन क्षेत्र को भी संभावित रूप से शामिल किया जा सकता है। हालांकि इस पर अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
एमओयू साइन की तैयारी में दोनों राज्य
मुख्यमंत्री मोहन यादव की राजस्थान यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात सीएम भजनलाल शर्मा से हुई। सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच चीता कॉरिडोर को लेकर गहन चर्चा हुई है। इस बातचीत का परिणाम जल्द ही दोनों राज्यों के बीच एमओयू (स्मृति-पत्र) के रूप में सामने आ सकता है।
राजस्थान सरकार में इस प्रस्ताव पर विचार चल रहा है और यह फाइल मुख्यमंत्री स्तर तक पहुंच चुकी है। जैसे ही मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलती है, इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने की दिशा में तेज़ी से कार्य शुरू होगा।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट
चीता प्रोजेक्ट भारत के लिए केवल एक वन्यजीव पुनर्वास पहल नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की जैव विविधता संरक्षण परियोजना है। यह न केवल विलुप्तप्राय प्रजातियों को संरक्षित करने की दिशा में कदम है, बल्कि इको-टूरिज्म और पर्यावरण शिक्षा को भी बढ़ावा देगा।