शोभना शर्मा राजस्थान में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकार जल्द ही मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी-2025 लागू करने जा रही है। इस नई पॉलिसी से न केवल एग्रीगेटर कैब कंपनियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश मिलेंगे, बल्कि आम यात्रियों को भी तयशुदा किराए और बेहतर सेवाओं का लाभ मिलेगा।
यह घोषणा उपमुख्यमंत्री और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम चंद बैरवा ने 3 सितंबर को विधानसभा सत्र के दौरान की। प्रश्नकाल में सदस्यों के पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह पॉलिसी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी की गई मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन-2025 के आधार पर तैयार की जा रही है।
एग्रीगेटर कैब कंपनियों के लिए अलग किराया व्यवस्था
डॉ. बैरवा ने सदन को जानकारी दी कि एग्रीगेटर पॉलिसी लागू होने के बाद कैब कंपनियों के वाहनों के लिए पृथक किराया व्यवस्था लागू की जाएगी। फिलहाल प्रदेश में एग्रीगेटर कंपनियों द्वारा संचालित टैक्सियों और कैब्स के लिए अलग से किराया तय नहीं है। वर्तमान में केवल ऑटो रिक्शा (2013), टैक्सी कैब (2007) और प्री-पेड टैक्सी कैब (2013) के लिए किराए की अधिसूचना जारी है। नई पॉलिसी से यह व्यवस्था साफ होगी और यात्रियों को ओवरचार्जिंग से बचाने में मदद मिलेगी।
कैब कंपनी लाइसेंस के लिए तय होंगी शर्तें
नई एग्रीगेटर पॉलिसी में कंपनियों के लिए लाइसेंसिंग मानक भी तय किए गए हैं। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि किसी कंपनी को एग्रीगेटर कैब सेवा चलाने के लिए न्यूनतम 50 मोटर कैब वाहन होने आवश्यक हैं। वहीं, यदि कंपनी अन्य वाहनों के साथ लाइसेंस लेना चाहती है तो उसमें कम से कम 25 वाहन होने चाहिए।
इसके अलावा, रेंट-ए-कैब स्कीम में न्यूनतम 50 मोटर कैब आवश्यक हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत वातानुकूलित (AC) वाहन होने चाहिए। इसी प्रकार, राजस्थान बाइक टैक्सी पॉलिसी 2017 के अंतर्गत न्यूनतम एक दुपहिया वाहन और रेंट-ए-मोटर साइकिल स्कीम में न्यूनतम पांच दुपहिया वाहन जरूरी हैं।
एग्रीगेटर्स पर नियंत्रण के लिए नियम
उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि एग्रीगेटर कंपनियों पर नियंत्रण और उन्हें अनुमति देने के लिए पहले से ही Rajasthan On Demand Information Technology Based Transportation by Public Service Vehicles Rules-2016 लागू हैं। वर्तमान में इन्हीं नियमों के तहत एग्रीगेटर्स को अनुमति दी जाती है। हालांकि, अब जब केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2025 को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन-2025 जारी की है, तो राज्य सरकार उसका अध्ययन कर रही है और उसी आधार पर राजस्थान मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी-2025 लाने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
वर्तमान व्यवस्था और चुनौतियां
वर्तमान में राजस्थान में कई कैब एग्रीगेटर कंपनियां जैसे कि ओला, उबर और स्थानीय कैब सेवाएं सक्रिय हैं। लेकिन इनके संचालन में कई समस्याएं सामने आती रही हैं, जिनमें –
अलग-अलग जिलों में किराए को लेकर भ्रम,
यात्रियों से ओवरचार्जिंग की शिकायतें,
वाहनों की न्यूनतम संख्या तय न होने से सेवा की असमानता,
यात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता का अभाव शामिल है।
नई पॉलिसी से इन समस्याओं का समाधान होने की उम्मीद है।
यात्रियों और कंपनियों दोनों को होगा फायदा
इस पॉलिसी से आम यात्रियों को पारदर्शी किराया व्यवस्था, सुरक्षित यात्रा और विश्वसनीय सेवा का लाभ मिलेगा। वहीं, कैब कंपनियों के लिए भी यह पॉलिसी संचालन में स्पष्टता लाएगी। कंपनियों को यह पता होगा कि लाइसेंस के लिए न्यूनतम कितने वाहनों की जरूरत है और उन्हें किस प्रकार से राज्य सरकार के नियमों का पालन करना होगा। यात्रियों के दृष्टिकोण से यह पॉलिसी उन शहरों के लिए भी लाभकारी होगी जहां अब तक संगठित रूप से कैब सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व
एग्रीगेटर पॉलिसी का लागू होना राजस्थान सरकार के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विधानसभा में इसकी घोषणा से यह स्पष्ट है कि सरकार सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए गंभीर है। डिप्टी सीएम बैरवा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य एग्रीगेटर्स को प्रभावी नियंत्रण में लाना और साथ ही यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराना है।