शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति इन दिनों एक बड़े विवाद को लेकर गर्माई हुई है। मामला है बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी कंचन चौहान की नियुक्ति का। कंचन चौहान को हाल ही में नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन अब उस पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की परीक्षा विशेष योग्यता वर्ग में पास की और इसी आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की।
विधायक का बयान आया सामने
जैसे-जैसे विवाद बढ़ता गया, वैसे-वैसे राजनीतिक हलकों में भी चर्चाएं तेज हो गईं। अब इस मामले पर विधायक शंकर सिंह रावत ने खुद सामने आकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपनी बेटी पर लगे सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह सब उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की साजिश है।
उन्होंने कहा, “मेरी बेटी का सर्टिफिकेट बिल्कुल सही है। जांच होगी और सच सबके सामने आ जाएगा। लेकिन मेरे खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाकर हमें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। कुछ मंत्री भी इस मुद्दे को जानबूझकर तूल दे रहे हैं।”
“सांच को आंच नहीं”
विधायक रावत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर उनकी बेटी का प्रमाणपत्र गलत निकला तो उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा, “अगर सर्टिफिकेट फर्जी होगा तो जांच में साबित हो जाएगा। और अगर दोषी पाई जाएगी तो जेल जाएगी। सांच को आंच नहीं होती। हम सच से डरते नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कितनी भी बार जांच करवा ली जाए, नतीजा वही रहेगा क्योंकि इसमें कोई झूठ नहीं है।
राजनीतिक बदनाम करने की कोशिश
विधायक का मानना है कि उनके विरोधी जानबूझकर उनके परिवार को विवादों में घसीट रहे हैं। उनका आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में कुछ मंत्री भी शामिल हैं, जो इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर जनता के बीच गलत संदेश फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “ये सारे आरोप सिर्फ बदनाम करने और डराने के लिए लगाए जा रहे हैं। सच्चाई यह है कि मेरी बेटी ने पूरी मेहनत और योग्यता से सफलता हासिल की है। लेकिन राजनीतिक कारणों से उसके नाम को इस तरह से घसीटा जा रहा है।”
जांच के बाद ही होगा फैसला
राजस्व विभाग और आयोग की प्रक्रियाओं के चलते इस मामले की जांच जारी है। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन जैसे-जैसे यह विवाद बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल भी तेज होती जा रही है।