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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी संकट में

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी संकट में

शोभना शर्मा।   बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी अब समाप्त होने की कगार पर है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उनकी विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition – SLP) को खारिज करते हुए उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि हाईकोर्ट और अपीलीय अदालत द्वारा दी गई सजा पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही है।

कंवरलाल मीणा को एसडीएम पर पिस्टल तानने, सरकारी कार्य में बाधा डालने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने 1 मई को उनकी अपील खारिज करते हुए इस सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद विधायक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली।

सुप्रीम कोर्ट में नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच — जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल — ने बुधवार को सुनवाई के दौरान विधायक की सभी दलीलों को खारिज कर दिया। विधायक के वकील नमित सक्सेना ने यह तर्क दिया कि जिस रिवॉल्वर की बात की जा रही है, वह कभी बरामद नहीं हुई। साथ ही, जिस वीडियो कैसेट को जलाने का आरोप है, वह भी पुलिस के हाथ नहीं लगी। इसलिए आरोपी पर क्रिमिनल फोर्स या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला नहीं बनता।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि lower courts का निर्णय सही है और उसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही विधायक को दो सप्ताह में आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए गए।

20 साल पुराना है मामला

यह पूरा मामला वर्ष 2005 का है, जब कंवरलाल मीणा ने झालावाड़ जिले के दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर एक चुनाव विवाद के दौरान सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। गांव के लोगों ने उपसरपंच चुनाव में दोबारा मतदान की मांग को लेकर रास्ता जाम किया हुआ था। मौके पर पहुंचे तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार भीड़ को समझा रहे थे, तभी विधायक कंवरलाल मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। मीणा ने कथित रूप से एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तान दी और धमकी दी कि अगर दोबारा वोटों की गिनती नहीं कराई गई, तो जान से मार देंगे। इसके बाद उन्होंने विभागीय फोटोग्राफर के कैमरे की कैसेट निकालकर जला दी और आईएएस अफसर का कैमरा भी छीन लिया, जिसे बाद में लौटाया गया।

निचली अदालत ने किया था दोषमुक्त, अपीलीय अदालत ने पलटा फैसला

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2018 में कंवरलाल मीणा को दोषमुक्त कर दिया था। लेकिन इसके खिलाफ हुई अपील में एडीजे अदालत, अकलेरा ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए विधायक को दोषी ठहराया और तीन साल की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ विधायक ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की थी।

हाईकोर्ट ने माना गंभीर अपराध

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि एक जनप्रतिनिधि से अपेक्षा की जाती है कि वह कानून का पालन करे, न कि कानून व्यवस्था को चुनौती दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि — जिसमें पहले से 15 मामले दर्ज थे — को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

विधानसभा सचिवालय ने भेजा नोटिस, कांग्रेस ने की कार्रवाई की मांग

हाईकोर्ट के निर्णय के बाद कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा सचिव से मिलकर कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी। सचिवालय ने विधायक को नोटिस जारी कर 7 मई तक सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत आदेश प्रस्तुत करने को कहा था। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने SLP खारिज कर दी है, तो उनकी सदस्यता समाप्त होना तय माना जा रहा है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अयोग्यता

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार यदि किसी सांसद या विधायक को दो साल से अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। कंवरलाल मीणा को तीन साल की सजा मिली है, और सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा है। ऐसे में अब विधानसभा सचिवालय द्वारा उनकी विधायकी समाप्त करने की औपचारिक घोषणा की जा सकती है।

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