शोभना शर्मा। राजस्थान में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों सेवा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य है कि जनता को सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ एक ही स्थान पर मिल सके। लेकिन शनिवार (4 अक्टूबर) को कोटा ग्रामीण क्षेत्र के बोराबास गांव में आयोजित एक सेवा शिविर का नजारा कुछ और ही था। यहां निरीक्षण के लिए पहुंचे पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर को जब शिविर स्थल पर खाली कुर्सियां मिलीं, तो वे भड़क उठे। मौके पर 3 से 4 विभागों के ही कुछ अधिकारी मौजूद थे, वो भी पंचायत भवन के कमरे के अंदर बैठे थे।
सुबह 10 बजे पहुंचे मंत्री, मैदान में सन्नाटा देख हैरान
मंत्री मदन दिलावर शनिवार सुबह करीब 10 बजे बोराबास पहुंचे। उन्होंने उम्मीद की थी कि शिविर में ग्रामीणों की भीड़ और अधिकारी सेवा कार्यों में व्यस्त मिलेंगे। लेकिन शिविर स्थल पर पहुंचते ही उन्होंने देखा कि कुर्सियां खाली हैं और न तो कोई अधिकारी मंच पर है, न ही कोई ग्रामीण मौजूद। वे कुछ पल तक बिना कुछ कहे वहां की स्थिति देखते रहे। फिर उन्होंने एक कुर्सी पर बैठकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान मंच के पीछे लगे बैनर को देखकर उन्होंने पूछा— “शिविर भवन के कमरे में आयोजित करने के निर्देश हैं क्या?”
अधिकारियों की लापरवाही पर फूटा मंत्री का गुस्सा
मंत्री को देखकर कुछ आंगनबाड़ी कर्मचारी भाग-दौड़ में मंच के पीछे शिविर का बैनर लगाने लगे। वहीं, जब उन्हें पता चला कि मंत्री खुद निरीक्षण के लिए पहुंचे हैं, तो पंचायत कार्यालय में बैठे नायब तहसीलदार लेखराज स्वामी (तहसील मंडाना) वहां पहुंचे। मंत्री ने उनसे सवाल किया कि शिविर अब तक शुरू क्यों नहीं हुआ है। नायब तहसीलदार ने जवाब दिया कि “ग्रामीणों के आने का इंतजार कर रहे थे।” इस पर मंत्री ने नाराज होते हुए कहा— “आराम फरमाने आए हो क्या?” इसके बाद उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर मंगवाया और उस पर टिप्पणी लिखी— “शिविर में सुबह 10:27 बजे तक केवल कुछ ही कर्मचारी उपस्थित थे, वे भी भवन के अंदर बैठे थे।” मंत्री ने रजिस्टर पर हस्ताक्षर और समय दर्ज किया ताकि इस लापरवाही का रिकॉर्ड रहे।
मंत्री ने SDM को फोन पर लगाई फटकार
मदन दिलावर ने मौके से ही उपखंड अधिकारी (SDM) गजेंद्र सिंह को फोन लगाया। बातचीत के दौरान मंत्री का गुस्सा साफ झलक रहा था।
उन्होंने पूछा—
मंत्री: “शिविर का समय क्या है?”
एसडीएम: “9:30 से 6 बजे तक।”
मंत्री: “अभी 10:15 बज रहे हैं। बोराबास में शिविर शुरू नहीं हुआ, कोई जिम्मेदार अधिकारी भी मौके पर नहीं है।”इतना कहकर मंत्री ने फोन काट दिया। इस बातचीत के बाद मौके पर मौजूद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।
एक घंटे बाद शुरू हुआ शिविर
मदन दिलावर करीब एक घंटे तक शिविर स्थल पर रुके रहे। जैसे ही अधिकारियों को मंत्री की मौजूदगी की जानकारी मिली, वे तेजी से बोराबास पहुंचे। कुछ ही देर में शिविर की विधिवत शुरुआत हुई। मंत्री ने उपस्थित ग्रामीणों से बातचीत की और सेवा शिविर के उद्देश्य के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि “सरकार ने ये शिविर जनता की सुविधा के लिए शुरू किए हैं, न कि दिखावे के लिए।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आगे भी किसी शिविर में इस तरह की लापरवाही पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सेवा शिविरों के उद्देश्य और मंत्री की सख्ती
राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्यभर में शहरी और ग्रामीण सेवा शिविरों की शुरुआत की है। इन शिविरों में लोगों को राजस्व, सामाजिक न्याय, कृषि, महिला एवं बाल विकास, और पंचायत राज विभाग की योजनाओं से जुड़ी सेवाएं दी जाती हैं। लेकिन कई स्थानों पर इन शिविरों में अधिकारियों की उपेक्षा और लापरवाही सामने आ रही है। मदन दिलावर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि “अगर जनता को सेवा शिविरों में परेशानी हो रही है, तो यह पूरे अभियान के उद्देश्य को विफल करता है।” उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि आगे से किसी भी सेवा शिविर में समय से पहले सभी अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहें और ग्रामीणों को सुविधा देने में कोई कमी न छोड़ी जाए।
स्थानीय प्रशासन में हड़कंप, अधिकारियों ने दी सफाई
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि ग्रामीणों को सूचना देर से मिली थी, जिसके चलते शुरुआत में शिविर स्थल पर कम लोग पहुंचे। हालांकि मंत्री ने इस सफाई को अस्वीकार करते हुए कहा कि “प्रबंधन की कमी और अनुशासनहीनता किसी भी सरकारी काम की साख गिराती है।” मंत्री ने इस मौके पर शिविर की व्यवस्था की समीक्षा की और कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजन जनता की भागीदारी से ही सफल हो सकते हैं।


