राजस्थान के सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग (डीओआईटी) में कथित 3500 करोड़ के घोटाले की शिकायत एक बार फिर चर्चा में आई है। इस बार राज्य के मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम से मुलाकात कर इस घोटाले की जांच के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। यह घोटाला कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ बताया जा रहा है, जिसकी जांच अब तक पूरी नहीं हुई है।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने बेढम के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की और इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने गृह राज्य मंत्री को जानकारी दी कि गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान एसीबी में इस घोटाले की शिकायत की गई थी, लेकिन एसीबी को जांच करने की अनुमति नहीं दी गई। मीणा का आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने इस घोटाले को दबाने की कोशिश की थी, लेकिन अब जब राज्य में नई सरकार है, तो उन्हें उम्मीद है कि इस मामले की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आरोपों की विस्तृत जानकारी
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि डीओआईटी में अधिकारियों ने गैर-कानूनी तरीके से लेटरल एंट्री के जरिए भर्तियां की थीं। इस तरह की लेटरल एंट्री का विपक्ष ने पहले विरोध किया था। आरोपों के अनुसार, बिना किसी सरकारी एजेंसी की भागीदारी के ही कई लोगों को सीधे भर्ती किया गया। इस भर्ती प्रक्रिया के जरिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट फॉर सोशल मीडिया डेवलपमेंट एक्टिविटी के तहत करोड़ों रुपए का दुरुपयोग हुआ।
डॉ. किरोड़ी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत कई अधिकारियों ने जांच के नाम पर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया। अगर कोई अधिकारी राजस्थान के किसी शहर में जांच के लिए गया तो उसे डीओआईटी द्वारा 2,61,400 रुपये का भुगतान किया गया, और अगर वह राजस्थान से बाहर गया तो उसे 4,95,666 रुपये का भुगतान किया गया। किरोड़ी ने कहा कि यह टीए-डीए (यात्रा भत्ता और दैनिक भत्ता) इतना अधिक है कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भी इतना नहीं मिलता।
अधिकारियों पर गंभीर आरोप
मीणा ने अपनी शिकायत में डीओआईटी के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रोजेक्ट अधिकारी दीपशिखा सक्सेना, कुलदीप यादव, और वित्त अधिकारी कौशल गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गलत दस्तावेजों के आधार पर विभिन्न फर्मों को करोड़ों रुपये के वर्क ऑर्डर जारी किए। इसके अलावा, मीणा ने अधिकारी आशुतोष देशपांडे और पूर्व अतिरिक्त निदेशक आरसी शर्मा पर ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को टेंडर देने का आरोप लगाया। साथ ही, जॉइंट डायरेक्टर प्रद्युमन सिंह और जॉइंट डायरेक्टर रणवीर सिंह पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी के खाते में रिश्वत के पैसे जमा किए। इन आरोपों ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है, जिससे जांच की आवश्यकता और भी स्पष्ट हो गई है।
गृह राज्य मंत्री का प्रतिक्रिया
मुलाकात के बाद गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कांग्रेस सरकार के दौरान हुए इस घोटाले की जांच की मांग की है। बेढम ने बताया कि उन्होंने डीजीपी को फोन कर इस मामले की जांच शुरू करने और त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और घोटाले की पूरी जांच की जाएगी।
पेपर लीक घोटाले की जांच भी सक्रिय
यह पहली बार नहीं है जब डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। इससे पहले भी उन्होंने पेपर लीक घोटाले के सबूत सौंपे थे। दो महीने पहले, मीणा एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) कार्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने आरपीएससी चेयरमैन और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने तीन बड़े भर्ती परीक्षाओं, आरएएस, रीट, और एसआई परीक्षा में हुए पेपर लीक के सबूत एसओजी के एडीजी वीके सिंह को सौंपे थे। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा द्वारा डीओआईटी में हुए 3500 करोड़ के घोटाले की शिकायत और इसकी जांच की मांग ने राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है। अब देखना यह है कि गृह राज्य मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई होती है।