शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में हलचल मचाने वाला एक और बयान सामने आया है। राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने सचिन पायलट की बढ़ती सक्रियता और कांग्रेस में संभावित अंदरूनी हलचल पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “आजकल सचिन पायलट की नजर नेता प्रतिपक्ष के पास वाली कुर्सी पर है।”
यह बयान जयपुर में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान दिया गया, जहां उन्होंने विपक्षी नेताओं की गैरमौजूदगी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस तरह की परंपरा सही नहीं है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर असर पड़ता है।
सचिन पायलट की बढ़ती सक्रियता और कांग्रेस में उठते सवाल
राजस्थान विधानसभा में बदलते समीकरणों पर टिप्पणी करते हुए जोगाराम पटेल ने कहा कि जो विधायक पहले बहुत सक्रिय थे, वे अब उतने नजर नहीं आ रहे, जबकि जो पहले शांत रहते थे, वे अब ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले अशोक चांदना और हरीश चौधरी सदन में ज्यादा भाग नहीं लेते थे, लेकिन अब गोविंद सिंह डोटासरा की निष्क्रियता और सचिन पायलट की सक्रियता बढ़ने से वे भी विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने लगे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हरीश चौधरी और टीकाराम जूली का सदन में लंबी बातचीत करना और मुस्कुराना इस बात का संकेत देता है कि कांग्रेस में कोई बड़ा तूफान आने वाला है। उन्होंने इसे “शांति से पहले का तूफान” करार दिया।
‘दुश्मन न करे, दोस्त ने वो काम किया’ – कांग्रेस के अंदर कलह?
इससे पहले 7 मार्च को कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने सदन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए थे। इस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने जवाब दिया था कि “दुश्मन न करे, दोस्त ने वो काम किया है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कोई अंदरूनी मतभेद नहीं है और जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, वे गलत हैं। जूली ने यह भी कहा कि गोविंद सिंह डोटासरा सिर्फ कुछ दिनों से सदन में नहीं आ रहे हैं, लेकिन यह कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि “अगर गोविंद डोटासरा सदन नहीं आ रहे हैं तो किरोड़ी लाल मीणा और वसुंधरा राजे भी लंबे समय से सदन में नहीं दिखे हैं।”
डोटासरा की गैरमौजूदगी पर उठते सवाल
कुछ दिन पहले विधानसभा में मंत्री अविनाश गहलोत ने इंदिरा गांधी को ‘दादी’ कहकर संबोधित किया था, जिससे सदन में बवाल मच गया था। कांग्रेस के नेताओं ने इस पर विरोध जताया और विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए। इसके बाद, स्पीकर ने गोविंद सिंह डोटासरा समेत 6 कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया था।
बाद में, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में डोटासरा की तरफ से माफी मांगकर मामला सुलझाया, जिसके बाद कांग्रेस के सभी 6 विधायकों का निलंबन वापस ले लिया गया। लेकिन इसके बाद से ही डोटासरा विधानसभा में नजर नहीं आ रहे हैं, जिससे कई राजनीतिक सवाल उठने लगे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि डोटासरा जूली द्वारा माफी मांगने के फैसले से खुश नहीं थे। इस मुद्दे को भाजपा ने जोर-शोर से उठाया है और बार-बार कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर सवाल पूछ रही है।
राजस्थान में कांग्रेस के अंदर बिखराव के संकेत?
मंत्री जोगाराम पटेल के बयान और डोटासरा की गैरमौजूदगी ने कांग्रेस के अंदर संभावित बिखराव की अटकलों को और मजबूत कर दिया है। एक तरफ सचिन पायलट की बढ़ती सक्रियता और उनके प्रति विधायकों के झुकाव ने सियासी चर्चाओं को जन्म दिया है, तो दूसरी तरफ डोटासरा की चुप्पी और उनकी विधानसभा से दूरी ने इस बात को और हवा दी है कि राजस्थान कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ रही है।
भले ही कांग्रेस के नेता इन सभी बातों को अफवाह बता रहे हों, लेकिन सच्चाई यही है कि राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस को लेकर हलचल मची हुई है। सचिन पायलट की बढ़ती सक्रियता, गोविंद सिंह डोटासरा की गैरमौजूदगी और भाजपा के सवालों ने राज्य की राजनीति को और अधिक दिलचस्प बना दिया है।